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    Monday, February 17, 2025
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      SCERT: अब तक 3646 शिक्षकों ने नहीं लिया अनिवार्य प्रशिक्षण, जानें नुकसान

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद नालंदा जिले के 3646 शिक्षक अब तक अनिवार्य प्रशिक्षण से वंचित हैं। यह स्थिति उनकी वार्षिक वेतन वृद्धि को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

      दरअसल सतत व्यवसायिक विकास (सीपीडी) योजना के तहत राज्य के सरकारी शिक्षकों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार 50 घंटे का आवासीय प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों की योग्यता में सुधार लाना और स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

      राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक ने सभी जिलों के डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) और डीपीओ (जिला परियोजना अधिकारी) को निर्देश दिया है कि वे सभी शिक्षकों को समय पर प्रशिक्षण संस्थानों में भेजना सुनिश्चित करें।

      नालंदा जिले में कुल 16092 शिक्षक हैं। जिनमें से 12446 को प्रशिक्षण के लिए टैग किया गया है। हालांकि 3646 शिक्षक अभी तक टैग नहीं हो पाए हैं। यह आंकड़ा जिले में शिक्षकों के प्रशिक्षण में हो रही लापरवाही को उजागर करता है।

      हालांकि राज्य के 14 जिलों के कुल 74152 शिक्षक अब तक प्रशिक्षण नहीं ले सके हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रशिक्षण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए आशंका है कि 31 मार्च 2025 तक सभी शिक्षकों का प्रशिक्षण पूरा नहीं हो पाएगा।

      केंद्र सरकार के समग्र शिक्षा अभियान के तहत वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य है। जो शिक्षक प्रशिक्षण पूरा नहीं कर पाएंगे, उन्हें वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिलेगा। यह स्थिति शिक्षकों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

      शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए ई-शिक्षा कोष के माध्यम से टैग किया जाता है। हालांकि संस्थानों में प्रशिक्षण क्षमता सीमित होने के कारण सभी शिक्षकों को समय पर प्रशिक्षण देना एक चुनौती बन गया है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था दोनों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

      अब राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए जिलास्तरीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए टैग करना और उन्हें संस्थानों में समय पर भेजना अब प्राथमिकता में है।

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