बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में रबी विपणन मौसम 2024 में गेहूं अधिप्राप्ति का कार्य संतोषजनक नहीं रहा है। विगत 15 मार्च से ही जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का कार्य शुरू हुआ था। शुरू से ही गेहूं अधिप्राप्ति कार्य में तेजी नहीं देखी गयी, जबकि जिले में गेहूं की इस वर्ष अच्छी पैदावार भी हुई थी।
अब गेहूं अधिप्राप्ति की अंतिम तिथि 15 जून शनिवार को ही समाप्त हो रहा है। ऐसे में जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का कार्य काफी पीछे रह गया है। इस रबी विपणन मौसम में जिले में गेहूं अधिप्राप्ति का लक्ष्य 13043 मीट्रिक टन के विरुद्ध मात्र 41.30 मेट्रिक टन गेंहू ही खरीदी जा सकी है। जबकि गेहूं बेचने के लिए लगभग 500 किसानों के द्वारा रजिस्ट्रेशन भी कराया गया था।
जिला प्रशासन के द्वारा इस वर्ष गेहूं अधिप्राप्ति कार्य के लिए कुल 187 पंचायत पैक्सों तथा 10 व्यापार मंडलों का चयन किया समर्थन मूल्य 2275 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। इसके बावजूद जिले के किसानों में इस वर्ष गेहूं अधिप्राप्ति के प्रति उत्साह नहीं दिखा।
हालांकि सहकारिता विभाग के द्वारा अधिप्राप्ति लक्ष्य को पूरा करने के लिए तथा अधिप्राप्ति कार्य को सुचारू करने के लिए काफी कोशिश भी की गयी, लेकिन विभाग को सफलता नहीं मिल सकी है। इसके लिए अधिप्राप्ति कार्य से जुड़े सभी पैक्स तथा व्यापार मंडलों को कैश क्रेडिट के माध्यम से राशि भी उपलब्ध कराई गई थी।
जिले में सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों के द्वारा सभी पैक्सों तथा व्यापार मंडलों के अध्यक्षों से संपर्क बनाकर किसानों को सरकारी मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए प्रेरित करने का भी प्रयास किया गया था।
इसके बावजूद किसानों ने अपनी गेंहू पैक्स तथा व्यापार मंडलों को नहीं दिया। 15 जून तक गेहूं अधिप्राप्ति का कार्य किया जाना है। अब अधिप्राप्ति कार्य के लिए सिर्फ एक दिन का समय बच रहा है। ऐसे में गेहूं अधिप्राप्ति का लक्ष्य कोसो दूर रह गया।
लक्ष्य का एक फीसदी भी नहीं हुई खरीदारीः रबी विपणन मौसम 2024 में विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्य का एक फीसदी गेहूं भी नहीं खरीदी जा सकी है। जिले में चयनित पैक्स तथा व्यापार मंडलों में से लगभग 90 फ़ीसदी के द्वारा तो एक छटाक भी गेहूं की खरीदारी नहीं की गई है।
अधिकांश पैक्स तथा व्यापार मंडल अध्यक्षों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया की सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी अधिक बाजार मूल्य होने के कारण किसान पैक्स तथा व्यापार मंडलों में गेहूं बेचने के लिए नहीं ला रहे हैं। इसलिए ऐसे में किसानो से गेंहू खरीदना संभव नहीं है।
कहते हैं अधिकारीः गेहूं का बाजार मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक रहने के कारण किसान खुले बाजार में ही अपनी गेहूं बेचकर लाभान्वित हुए हैं। विभाग का उद्देश्य भी किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाना है। इसलिए जिले में इस वर्ष गेहूं अधिप्राप्ति का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका है।
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