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    Thursday, November 14, 2024
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      रोहिणी नक्षत्र की भीषण गर्मी देख मुस्कुराए किसान, 2 जून तक रहेगी नौतपा

      नालंदा दर्पण डेस्क। सर्व तपे जो रोहिणी, सर्व तपे जो मूर, परिया तपे जो जेठ की उपजे सातों तूर। अर्थात जब जेठ के रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश में गर्मी खूब पड़ती है तो उस साल जमकर वर्षा होती है। यदि मानसून के बारे में यह अनुमान सही प्रतीत होते हैं।

      लोक कवि घाघ की मध्ययुग में मौसम, वर्षा और कृषि को लेकर की गई भविष्यवाणियां आज भी किसानों के बीच सटीक मानी जाती है। इसी को लेकर जिले के किसानों में अच्छी बारिश की आस जगी है। 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरू हुआ है। इस नौतपा की अवधि दो जून तक रहेगी।

      माना जाता है कि जेठ महीने में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। तब गर्मी प्रचंड पड़ती है। इस साल अधिकतम तापमान 38 से 45 डिग्री तक पहुंच गया है। आधुनिक मौसम वैज्ञानिक इसे हीट वेव या लू वाले दिन भी कहते हैं, लेकिन पुराने अनुभवों के अनुसार आज के मशीनरी युग में भी किसानों के लिए नौतपा मुस्कान साबित हो रहे हैं।

      माना जाता है कि जेठ माह में नौतपा खूब तपा तो उस साल बारिश जमकर होगी। वहीं यदि नौतपा के दौरान बारिश हो गयी तो इस नौतपा का गलना कहा जाता है। ऐसा होने पर मानसून के दौरान अच्छी बारिश की संभावना नहीं होती।

      लोग बताते हैं कि जेठ के रोहिणी नक्षत्र की प्रवेश में गर्मी खूब पड़ती है तो उस वर्ष खूब बारिश होती है। यदि गत कुछ वर्षों के मानसून के बारे में सोचे तो यह अनुमान सही प्रतीत होते हैं।

      सूर्य के तपन की प्रचंडता के कारण हिंदू पंचांग में वर्ष के तीसरे महीने को जेठ कहा जाता है। सर्वाधिक बड़े दिन वाला वह महीना गर्मी के हिसाब से सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है। इसी महीने की शुरुआत के नौ दिन को नौतपा भी कहते हैं।

      फिलहाल मौसम विभाग के अनुसार अभी चार से पांच दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ेगी। हालांकि लंबी अवधि के प्रभेद वाले धान के बिचड़े गिराने का रोहिणी प्रमुख नक्षत्र माना जाता है। लेकिन जिले में पांच दिन रोहिणी बीतने के बाद भी धान के बिचड़ा की बुआई शुरू नहीं हुई है।

      कृषि प्रधान क्षेत्र होने के बावजूद पटवन की सुविधा नहीं होने के कारण बिचड़ा गिराने का अच्छा समय रोहिणी नक्षत्र में किसानों की तैयारी पूरी नहीं हुई है। पानी के अभाव में किसानों के बिचड़े की कियारियां सूखी है। हालांकि रोहिणी नक्षत्र में आंधी-पानी की संभावना रहती है।

      फिलहाल भू-जल स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण सिंचाई के अधिकांश पप सेट व बिजली मोटर जवाब दे चुके हैं। अब तक मौसम भी किसानों का साथ दे रहा है। लेकिन नहर, पोखर, पइन, तालाब, आहर में पानी नहीं है। ऐसे में धान का बिचड़ा गिरा पाना किसी भी तरह संभव नहीं है।  जो इस नक्षत्र के अंत में बिचड़ा गिराने की तैयारी में जुट गये हैं। यह रोहिणी नक्षत्र 15 दिनों का होता है। आठ जून तक यह नक्षत्र रहेगा।

      कृषि विभाग के अनुसार मंसूरी धान के बिचड़े गिराने का यह उत्तम समय हैं। क्योंकि मंसूरी लंबी अवधि के प्रभेद का धान हैं। बाद के नक्षत्र में इस धान का बिचड़ा गिराने पर उपज कम हो जाता है। जिले के अधिकांश क्षेत्रों में मंसूरी धान के प्रभेद की ही बुआई होती है।

      फिलहाल मंसूरी धान का उत्पादन करने वाले किसान रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा गिराने की सोच तो रहे हैं पर उनके सामने सिंचाई का भारी संकट है। पानी के अभाव में बिचड़े नहीं गिरा रहे हैं।

      धान का बीज भी उपलब्ध नहीः नालंदा जिले में एक लाख 22 हजार से अधिक हेक्टयेर में इस बार धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए 12 हजार 2 सौ से अधिक हेक्टेयर में धान का बिचड़े चाहिए। लेकिन कृषि विभाग से अनुदानीत बीज वितरण कार्य अभी प्रखंड स्तर पर चल रहा है।

      प्रखंड स्तरीय बाजार में निजी दुकानों में धान के उत्तम बीज अभी उपलब्ध नहीं हो रहा है। खुले बाजार का कुछ विक्रेता नई कंपनी के बीज उपलब्ध करा रहे हैं। जिससे किसान खरीदने से बच रहे हैं।

      कुछ आगत खेती करने वाले किसानों में बिचड़ा गिराने को लेकर चिंता बढ़ी हुई है। किसानों का ध्यान जलवायु परिवर्तन की ओर भी है। पिछले दो वर्ष पूर्व बिचड़े गिराने और धान की रोपनी के समय बारिश नहीं हुई थी।

      ऐसे में किसान यह तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें बिचड़ा कब गिराना चाहिए। हालांकि इस बार रोहिणी में काफी अधिक गर्मी पड़ती देख किसानों को बेहतर बारिश होने की आस है।

      मौसम विभाग के अनुसार गत 12 वर्षों में इस बार सबसे अधिक रोहिणी में प्रचंड गर्मी पड़ रही है, जो गत तीन से पांच दिन और गर्मी पड़ने का संभावना व्यक्त की जा रही है।

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