चंडी (नालंदा दर्पण)। एक हरियाणवी गीत की पंक्तियां हैं,फौजी छुट्टी आया लड़ाई बंद करके…. और कुछ ऐसा ही नजारा एक फौजी के छुट्टी पर घर आने पर हुआ,फौजी छुट्टी लेकर आया लड़ाई बंद करके और पूरा गांव उसके स्वागत में उमड़ पड़ा। एक फौजी का यह स्वागत उनके लिए नजीर है, जो लोग नेताओं के पीछे भागते हैं।
आपने अपने गांव में किसी नेता की जीत पर बैंड बाजे के साथ जुलूस का रेला, जिंदाबाद के नारे लगाते लोगों को जरूर देखा होगा। किसी की परीक्षा में सफलता पर खुश होते जरूर देखा होगा। लेकिन आपने अभी तक किसी गांव में किसी फौजी का इतना भव्य स्वागत कहीं नहीं देखा होगा।
देश की सेवा में लगे एक फौजी अपनी सेवा के बाद छुट्टी लेकर गांव पहली बार पहुंच रहा था। उसके स्वागत में ग्रामीण पलक पांवड़े बिछाए थे। स्वागत की सारी तैयारी कर ली गई थी। बैंड बाजा से लेकर फूल मालाएं, रोली, अक्षत सब कुछ। बस सैनिक के गांव पहुंचने की देरी थी।
चंडी प्रखंड के नरसंडा से सटे बदौरा गांव में एक सीएसआईएफ का स्वागत सालों तक क्षेत्र के लिए यादगार रहेगा। ग्रामीण काफी खुश हैं कि चलो किसी ने गांव का नाम तो रोशन किया।
चंडी प्रखंड के बदौरा गांव के तमिलनाडु में मजदूरी करने वाले विजय रविदास के छोटे बेटे राहुल कुमार ने सीएसआईएफ में जाकर सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि परिवार के लोगों को गौरवान्वित किया है। राहुल कुमार बचपन से ही एक मेधावी छात्र रहे हैं। अपनी पहली ही परीक्षा में आल इंडिया 135 रैंक लाकर पिछले साल ही सीएसआईएफ में कांस्टेबल पद पर उनका चयन हुआ था।
फिलहाल राहुल कुमार उड़ीसा के मुंडली में तैनात हैं। अपने चयन के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे। पिछले दिन उनके आगमन की खबर पर ग्रामीणों ने अपने सैनिक बेटे को एक यादगार सलामी देने का मन बनाया।
गांव वाले उनके स्वागत में ऐसे लगे थे, मानों की किसी लड़के की शानदार बारात निकल रही हो। बैंड बाजे के साथ उसके धुन पर नाचते ग्रामीण,फूल मालाओं से राहुल को लाद दिया। गांव की गलियों में छतों से फूलों की बारिश हो रही थी।
जैसे ही राहुल अपने घर के पास कुछ कदम की दूरी पर थे, राहुल ने अपने माता-पिता को एक शानदार सलामी दी। मां रेखा देवी अपने लाल की इस कामयाबी पर फूली नहीं समा रही थी। बेटे ने अपने सर की टोपी मां को पहना दी।
मां अपने बेटे को ऐसा स्वागत कर धन्य समझ रही थी। मां की कोख धन्य हो जाती है, जो भारत के वीर सिपाही को जन्म देती है। अपने लाल को गले लगा लेती है।बेटा भी मां के चरण में समर्पित हो जाता है।
पिता के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। वहीं उनके दादा अपने पोते की खुशी देखकर अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। रह-रहकर उनकी आंखें भर जा रही थी। ग्रामीण भी अपनी खुशी रोक नहीं पा रहे थे। अपने गांव के लाल को फौजी के ड्रेस में देखकर रोमांचित हो रहे थे।
उनके बड़े भाई सोनू कुमार जो कंपाउंडर है, दूसरे भाई मजीव कुमार जो छात्र हैं, एक बहन जो नर्स की तैयारी कर रही है, अपने भाई की इस सफलता पर काफी खुश है।
बहरहाल, गांव के बच्चे राहुल कुमार से काफी प्रेरित दिख रहे थे, एक फौजी के रूप में ऐसा स्वागत देखकर उनके मन में भी फौजी बनने की चाहत दिख रही है। अपने फौजी के आने पर बदौरा गांव में जश्न है।
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