“बता दें कि अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा लगातार शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इस बार उनके द्वारा शिक्षकों को मिलने वाली छुट्टियों में भारी कटौती की गई है। जिससे शिक्षकों में रोष व्याप्त है…
परवलपुर (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के दमनकारी व हिटलरशाही नीति के खिलाफ शिक्षकों ने आंदोलन का आगाज किया।
शिक्षक नेता सुबोध कुमार सुमन, अभिषेक कुमार का कहना है कि शिक्षकों के साथ सरकार लगातार सौतेला व्यवहार कर रही है।
वहीं प्रेम प्रकाश, जितेंद्र कुमार का कहते है कि शिक्षकों के अधिकार की लड़ाई तेज होगी। शिक्षकों और नेताओं की जुबानी चरणबद्ध आंदोलन के लिए भी कमर कस ली है।
शिक्षक मुकेश कुमार ने कहा कि विभाग के द्वारा छुट्टियों में कटौती इस कदर की गई है कि रक्षाबंधन, जितिया, कृष्ण जन्माष्टमी पर विद्यालय खुले रहेंगे, वहीं दीपावली की दो छुट्टी को हटाकर एक कर दिया गया है। जबकि लोक आस्था का महान आस्था का पर्व छठ में मिलने वाली चार छुट्टी को घटाकर मात्र 2 कर दिया गया है। इससे शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है।
उपेंद्र कुमार ने कहा कि अभी दो दिन पहले रक्षा बंधन पर भी विद्यालय खुला था। शिक्षक तो उपस्थित हुए, लेकिन बच्चे नदारत थे। ऐसे आदेश निकालने से पहले सरकार इस पर अमल करना चाहिएं कि क्या यह उचित है।
मो. अयजिद्दीन अंसारी ने कहा कि सरकार जिस आरटीई 2009 का तर्क देकर हम शिक्षकों का छुट्टी काटा गया है, वो बिलकुल बेबुनियाद है।
जितेंद्र कुमार ने बताया कि नियम के मुताबिक साल में विद्यालय 220 दिन खुले होने चाहिएं जो हो रहा था, लेकिन सरकार ने शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के उद्देश्य से हम शिक्षकों का छुट्टी काटा है।
शिक्षिका फरहत जमीं बताती है कि अपर मुख्य सचिव ने न हिंदू आस्थाओं पर कुराघाट किया है, अपितु मुस्लिम आस्थाओं पर भी कुराघाट करते हुए धार्मिक भावनाओं और परंपराओं के साथ खिलवाड़ किया है।
प्रेम प्रकाश ने कहा कि के के पाठक आनन फानन में लगातार पत्र निर्गत कर रहे है, लेकिन जमीन पर उसकी वास्तविकता नही दिखाई देती है,सरकार को ऐसे पदाधिकारी को अबिल्म्ब हटाना चाहिएं।
अरविंद रजक ने कहा कि न सिर्फ शिक्षकों बल्कि हम प्रधानाध्यापक भी ऐसे पदाधिकारी से परेशान है। पहले 9 से 4 विद्यालय में कार्य करना पड़ता है। फिर 4 से 6 वीसी करना पड़ता है। सारा का सारा दिन इसी में व्यतीत हो जाता है। हम अपने लिए और अपने परिवार के लिए बिल्कुल समय नही निकाल पाते है।
वहीं, एक और प्रधानाध्यापक ओंकार कुमार बताते है कि सीधे तौर पर हम सभी का शोषण किया जाता है और दिन भर रिपोर्टिंग करने को कहा जाता है।
सुबोध कुमार सुमन ने कहा कि अगर जल्द ही मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव को नही हटाया तो इसका सीधा परिणाम सरकार को चुनाव में अपनी हार के रूप में देखना पड़ेगा। बिहार के 4 लाख शिक्षक और उनके परिवार इस महगठबंधन के खिलाफ वोटिंग करेंगे।
इस मौके पर प्रखंड के सैकड़ों शिक्षकों ने उपस्थित होकर अपर मुख्य सचिव के आदेश की प्रतियां जलाकर नारेबाजी की और अपना विरोध प्रकट किया।
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