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    Sunday, December 22, 2024
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      Bihar Education Department: ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी DEO को दिया लंबा-चौड़ा ताजा निर्देश

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को राज्य में शिक्षण व्यवस्था में सुधार के संबंध में लिखा है कि विभिन्न साप्ताहिक बैठक में राज्य में शिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए आपको विभिन्न निदेश दिये गए थे। आशा है कि उन सुधारों पर आपने विचार किया होगा एवं कार्य-योजना बनाई होगी। वैसे मामले जिन पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने एवं आपके स्तर से विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, वे निम्नवत हैं:

      1. आधारभूत संरचना: राज्य के विद्यालयों में आधारभूत संरचनाओं पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

      विद्यालय भवन: सभी से यह अपेक्षा की जाती है कि राज्य में सभी विद्यालयों को अपना भवन सही रूप से रंग-रोगन किया हुआ हो, भवनों की छत न टपकती हो, फर्स टूटा नहीं हो, दरवाजे एवं खिड़कियाँ सही रूप से लगे हों एवं छात्र के अनुपात में विद्यालय भवन में कमरे की उपलब्धता हो। विद्यालय भवन के किसी भी कमरे का शैक्षणिक कार्य को छोड़ अनावश्यक रूप से अन्य कार्य यथा गोदाम, भंडार आदि में इस्तेमाल न हो रहा हो, इसे सुनिश्चित किया जाय।

      प्रत्येक वर्ग के लिए अलग-अलग कमरे निर्धारित किए जाएं। कमरों में साफ सफाई हो । यदि वर्ग कक्ष वर्त्तमान में निर्माणाधीन हो या कक्षा के अनुपात में कमरे न हों तो निकटतम सामुदायिक भवन या अन्य सरकारी भवनों पर भी कक्ष संचालन की व्यवस्था की जा सकती है।

      इसमें यह ध्यान रखा जाय कि संबंधित सरकारी भवन विद्यालय से 500 मीटर के दायरे में ही हों। इसके साथ नये पक्के भवन के निर्माण हेतु प्रस्ताव और सभी अतिरिक्त भवन के निर्माण का प्रस्ताव संकलित कर जिला पदाधिकारी शिक्षा विभाग को सौंपेंगे।

      बेंच-डेस्क की व्यवस्था: प्रत्येक विद्यालय में सरकार के उपस्कर के अनुसार बेंच-डेस्क की व्यवस्था भी आवश्यकतानुसार सुनिश्चित कराई जाय । बेंच-डेस्क के अधिष्ठापन में सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता पर पूरा ध्यान दिया जाय और निर्धारित मापदण्ड के अनुसार नहीं है तो आपूर्तिकर्ता को बदलने का आदेश दिया जाय।

      निम्न गुणवत्ता के उपस्करों को नहीं बदले  जाने की स्थिति में आपूर्तिकर्त्ता के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई किया जाय। इन उपस्करों को सुरक्षित रखना प्रधान अध्यापक की जवाबदेही है। बाढ़ के समय इन्हें सुरक्षित स्थान पर अंचल अधिकारी से सहायोग प्राप्त कर लिया जाय ताकि बाढ़ में कोई उपस्कर बर्बाद नहीं हो।

      पीने के पानी की व्यवस्था: प्रत्येक विद्यालय में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। यह ध्यान रखा जाय कि चापाकल या समरसेवल पंप जिसके माध्यम से पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, वे सुचारू रूप से संचालित हों, इसकी भी जांच होनी चाहिए। पम्प निर्धारित मापदण्ड के अनुसार है, यह भी जांच कर लिया जाय।

      विभाग द्वारा सबरसेवल की गहराई भी निर्धारित गहराई में हो, इसकी भी जांच होनी चाहिए। यदि चापाकल की मरम्मती की आवश्यकता हो तो अविलम्ब उनकी मरम्मती करवाई जाए। यह भी जानकारी मिली है कि सबरसेवल पम्प तो लगा दिया गया है पर पानी की टंकी और नल नहीं लगाया गया है। जहाँ सबरसेवल पम्प लगाया गया है, उसके साथ टंकी और नल भी लगाया जाय।

      शौचालय: प्रत्येक विद्यालय में लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से साफ-सफाई एवं पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जाए। शौचालय में Overhead Tank एवं Piped Water Supply होना चाहिए, इसकी व्यवस्था की जाय।

      सफाई के लिये outsourcing से (प्रारंभिक विद्यालय में 58505, उच्च माध्यमिक –8515) कार्य के लिए एजेंसी नियुक्त है। यह सुनिश्चित किया जाय कि वह दिन में बार-बार शौचालय को साफ रखे। सफाई के लिए फिनाईल इत्यादि उन्हें उपलब्ध हो। शौचालय में साबुन भी उपलब्ध होना अनिवार्य है।

      विद्युत व्यवस्था: प्रत्येक विद्यालय भवन में बिजली मीटर एवं वायरिंग की व्यवस्था के साथ साथ बल्ब एवं पंखे आदि की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जाए। केवल बिजली का सम्बद्धता लेना पर्याप्त नहीं है। बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए और हर महीने विद्युत विपत्र का भुगतान किया जाय। शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों के बिजली विपत्र की समीक्षा की जायेगी।

      जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के माध्यम से नियमित रूप से सभी विद्यालय का शत प्रतिशत निरीक्षण एक सप्ताह में कराते हुए उपर्युक्त व्यवस्था अगले एक माह के अंदर अधिष्ठापित व दुरूस्त करना सुनिश्चित करेंगे।

      यदि एक माह के बाद निरीक्षण में उपर्युक्त आधारभूत संरचनाओं के अधिष्ठापन / मरम्मती में किसी प्रकार की कमी पाई जाती है तो इसकी संपूर्ण जबावदेही आप पर निर्धारित की जायेगी।

      2. शिक्षण व्यवस्था: शिक्षकों की उपस्थिति पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जायेगी। सभी शिक्षक अपने डिजिटल लैब / मोबाईल के माध्यम से अपनी उपस्थिति बनाएंगे। इस संबंध में अलग से दिशा निर्देश निर्गत किया जा चुका है। यदि विशेष परिस्थति में किसी शिक्षक को छुट्टी की आवश्यकता होगी तो उस संबंध में वे औपचारिक रूप से अनुमति प्राप्त करने के उपरांत ही अवकाश पर प्रस्थान करेंगे।

      समय पर विद्यालय आना एवं जाना उनका दायित्व है। सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता एवं पाठ्यक्रम के अनुरूप ही शिक्षण कार्य हो / बच्चों को शिक्षा दी जाय, यह सभी शिक्षक सुनिश्चित करेंगे एवं प्रधानाध्यापक उसका अनुश्रवण करेंगे। इस संबंध में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाय।

      साथ ही कला, संगीत, शिल्पकला एवं खेल पर भी विद्यालय में विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। प्रत्येक दिन विद्यालय की सामान्य अवधि के उपरांत कमजोर बच्चों के लिए ब्रिज क्लासेज (मिशन दक्ष) भी चलाए जाएँ। शनिवार को सुरक्षित शनिवार के रूप में कार्य किया जाए जिसमें बच्चों को किसी भी महत्वपूर्ण विषय पर विशेष रूप से जानकारी उपलब्ध कराया जाए। साथ ही शनिवार को ही बच्चों के कौशल विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

      गृह कार्य (Home work) नहीं दिये जाने और गृह कार्य का मूल्यांकन नहीं किये जाने कि शिकायत प्राप्त है। गृह कार्य नियमित रूप से दिया जाना चाहिए और उसका मूल्यांकन भी गुणवत्तापूर्ण एवं नियमित रूप से की जानी चाहिए।

      यदि कोई शिक्षक सही से न पढ़ा पाते हों तो प्रधानाध्यापक का यह दायित्व होगा कि वैसे शिक्षकों को चिन्हित करते हुए उन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण हेतु प्रस्ताव जिला शिक्षा पदाधिकारी को देंगे, ताकि उन्हें शिक्षण कार्य हेतु पुनः प्रशिक्षण दिया जा सके। यदि प्रधानाध्यापक ऐसे शिक्षकों को चिन्हित नहीं करते हैं तो यह प्रधानाध्यापक की लापरवाही मानी जायेगी। प्रधानाध्यापक का संपूर्ण दायित्व होगा कि शैक्षणिक कार्य का गुणवत्तापूर्ण एवं सुचारू रूप से संचालन हो।

      इस वर्ष (2024) सितम्बर-अक्टूबर माह में सभी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों का मिड टर्म मूल्यांकन किया जाएगा। अतः प्रधानाध्यापक यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी बच्चे सही से पढ़ें एवं एक संतोषप्रद मानक अकादमिक स्तर प्राप्त करे। आवश्यकता होने पर प्रधानाध्यापक द्वारा कमजोर छात्रों के लिए विद्यालय अवधि के उपरांत ब्रिज क्लासेज की व्यवस्था भी करेंगे। इस बिन्दु पर समीक्षा व निर्णय का दायित्व प्रधानाध्यापक का होगा।

      सभी विषय का पाठ्यक्रम (Syllabus) पूरा किया जाना है । यदि पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता है तो अतिरिक्त वर्ग (Extra Class) के माध्यम से पाठ्यक्रम पूरा किया जाय। इसके लिए प्रधान अध्यापक अपने स्तर से निर्णय लेंगे।

      प्रत्येक मध्य एवं उच्च विद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा हेतु कम्प्यूटर का अधिष्ठापन किया जाना है। यह सुनिश्चित किया जाए कि जिस भी विद्यालय में कम्प्यूटर अधिष्ठापित हैं, वे इंटरनेट सुविधा के साथ सुचारू रूप से चल रहे हों । जहाँ कम्प्यूटर अधिष्ठापित नहीं है एवं आपूर्ति के उपरांत आलमीरा में बंद पड़ा हो, उन कम्प्यूटर का अधिष्ठापन अविलंब कराया जाए।

      साथ ही यदि किसी विद्यालय में कम्प्यूटर के अधिष्ठापन की आवश्यकता हो तो कम्प्यूटर लगाने की अधियाचना भेजी जाय। इन सभी कम्प्यूटरों की ऑनलाईन मोनिटरिंग शिक्षा विभाग पटना से किया जायेगा और ऑनलाईन जानकारी प्राप्त किया जायेगा कि कितने कम्प्यूटर कार्यरत है। इन कम्प्यूटर पर ई-पुस्तकालय भी स्थापित है। इस ई-पुस्तकालय का कैसे प्रयोग हो रहा है, इसका भी अनुश्रवण किया जाय।

      विद्यालय के प्रयोगशालाओं में उपकरण की व्यवस्था व अधिष्ठापन भी सुनिश्चत करायी जाए। इसके अलावा खेल, कला, संगीत आदि से संबंधित उपस्कर का भी अधिष्ठापन व उसका उपयोग भी बच्चों द्वारा किया जाए, इसे भी सुनिश्चित कराया जाए।

      3. शिक्षा सेवक / शिक्षा सेवक (तालिमी मरकज): राज्य में लगभग 26 हजार टोला सेवक (शिक्षा सेवक) कार्यरत् हैं जिन्हें निम्नलिखित कार्य आवंटित है-

      • शिक्षा सेवक एवं शिक्षा सेवक (तालिमी मरकज ) द्वारा सम्बन्धित टोले के 15-45 आयु वर्ग के असाक्षर महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग के महिलाओं को साक्षरता केन्द्र पर साक्षरता प्रदान करना।
      • सम्बन्धित टोले के उक्त समुदाय के 06-14 आयु वर्ग के बच्चों को विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित कराना / प्रतिदिन प्रारंभिक तैयारी कराकर एक साथ विद्यालय में ले जाना।
      • विद्यालय अवधि के पूर्व शिक्षा सेवकों द्वारा टोले में 06-14 आयु वर्ग के विद्यालीय शिक्षा में सहयोग हेतु बच्चों को कोचिंग प्रदान करना।
      • विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों को चिन्हित कर विद्यालय पहुँचाना।
      • Dropout बच्चों को चिन्हित कर विद्यालय पहुँचाना।
      • शिक्षा सेवक से सम्बद्ध विद्यालयों में सभी बच्चों की उपस्थिति न्यूनतम 75 प्रतिशत् सुनिश्चित करना।
      • किसी शिक्षक की अनुपस्थिति अथवा अवकाश या किसी अन्य समस्या के चलते शिक्षकों की कमी होने पर इन्हें कक्षा-1 एवं कक्षा- 2 का पठ्न-पाठन का कार्य करना।
      • सम्बद्ध विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना में सहयोग करना।
      • मुख्यमंत्री परिभ्रमण योजना, खेलकूद, पर्यावरण सम्बन्धी गतिविधि एवं Extra- Curricular गतिविधियों में सहयोग प्रदान करना।
      • बच्चों के चिकित्सा जाँच में आवश्यक सहयोग प्रदान करना।
      • शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर दिये गये कार्यों एवं दायित्व का निर्वहन करना।

      इन कर्मियों को विद्यालय अवधि में एक सम्बद्ध विद्यालय में अपना हाजिरी बनाना अनिवार्य होगा। दिन भर वह अपने सम्बद्ध विद्यालयों का भ्रमण करेंगे एवं उक्त कार्य सुनिश्चित करेंगे। यदि इनके सम्बद्ध क्षेत्रों में Out of School बच्चे पा जाते हैं तो इन शिक्षा सेवक / तालिमी मरकज पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी और पद से मुक्त किया जाएगा तथा उनके स्थान पर उसी समुदाय के योग्य व्यक्ति को नियमानुसार नियुक्त किया जाएगा।

      4. बाढ़ एवं प्राकृतिक आपदा: बाढ़ इत्यादि प्राकृतिक आपदा के समय विद्यालय बंद करने की शक्ति केवल जिलाधिकारी में निहित है। अन्य किसी भी कारण से विद्यालय बंद न हो, यह आपके द्वारा सुनिश्चित किया जायेगा। यह देखा जा रहा है कि हर बाढ़ में विद्यालय के सभी उपस्कर और सामग्री बर्वाद हो जाते है।

      इस बार तो सभी विद्यालय में लकड़ी के फर्नीचर लगाय गये हैं जो एक ही बाढ़ के पानी में खराब हो जायेगा। यह प्रधानाध्यापक का दायित्व है कि जिला प्रशासन के सहयोग से बाढ़ के दौरान विद्यालय के सभी उपस्कर एवं अन्य समान सुरक्षित स्थान पर रखें।

      5. बच्चों की उपस्थिति: बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश पत्रांक-07 / मिशन दक्ष, दिनांक- 12.06.24 से पूर्व में ही निर्गत किया जा चुका है। राज्य में 6 से 16 वर्ष के सभी बच्चे जो विभिन्न शिक्षण संस्थानों- सरकारी, गैर सरकारी (Private School), ट्यूशन, सभी कोचिंग संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उनकी आधार सीडिंग कराई जाए।

      सभी संस्थाएँ बच्चों के आधार के साथ डाटाबेस संधारित करेंगे। शिक्षा विभाग से मांगे जाने पर यह डाटाबेस सभी संस्थानों द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कितना बच्चा संस्थान में पढ़ रहे हैं। यदि एक ही बच्चा प्राईवेट एवं सरकारी स्कूल में नामांकित है तो उस परिस्थिति में सरकारी स्कूल से नाम हटा दिया जाय।

      6. एफएलएन किट (Foundational Literacy and Numeracy): वर्तमान शिक्षण सत्र के लिए सभी विद्यालयों के छात्र / छात्राओं के उपयोग हेतु एफएलएन किट का वितरण प्रारंभ किया जा रहा है। इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् (बीईपी) को निदेश दिया गया है कि बच्चों के बीच वितरित होने वाले सामग्रियों का वर्गवार अनुमोदित नमूना का अलग-अलग पैकेट बनाकर राज्य के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध करायेगें, ताकि आपूर्ति किए जाने वाले सामग्री की गुणवत्ता एवं संख्या की जांच छात्रों के बीच वितरण के पूर्व सुनिश्चित कर ली जाए ताकि जिस गुणवत्ता की सामग्री निविदा के समय अनुमोदित की गई है उससे अन्यून स्तर की सामग्री का वितरण न हो।

      7. मध्याह्न भोजन योजना: मध्याहन भोजन योजना बच्चों के पोषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है। ऐसे में उसकी गुणवत्ता एवं पौष्टिकता पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। सबसे ज्यादा इसकी शिकायत प्राप्त हो रही है। यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों को मध्याह्न भोजन मेनू के अनुसार एवं समय पर मिले। इसके निरीक्षण के लिए जीविका दीदीयों को भी दायित्व दिया गया है, जो प्रत्येक दिन भोजन का निरीक्षण करेंगी एवं गुणवत्ता सही नहीं होने पर राज्य मुख्यालय को सूचित करेंगी।

      8. शिक्षकों की शिकायतों का निवारण: ऐसा देखा जा रहा है कि शिक्षकों की शिकायतें सीधे राज्य मुख्यालय स्तर पर पहुँच रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि उनकी शिकायतों को न तो प्रखंड और न ही जिला स्तर पर सुना जा रहा है। इतना ही नहीं, प्रत्येक दिन करीब 50 शिक्षक अपर मुख्य सचिव के कार्यालय में भी पहुँच जाते हैं। अतः प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी कम से कम प्रत्येक सप्ताह में एक दिन (शनिवार) विद्यालय अवधि के उपरांत शिक्षक–दरबार लगाते हुए उनकी समस्या सुनेंगे एवं उनकी समस्याओं पर विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए उनका समाधान करेंगे।

      यह सुनिश्चित किया जायेगा कि केवल आपके स्तर से समाधान न होने वाली समस्या / शिकायत ही राज्य मुख्यालय पहुँचे। जिला स्तर के किसी भी शिक्षा / शिक्षकेत्तर कर्मी की सेवानिवृति का देय लाभ लंबित नहीं हो एवं समय पर वेतन भुगतान हो, यह सुनिश्चित करना सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेवारी है। ट्रांसफर/ पोस्टिंग वाले अभ्यावेदन को एकत्रित कर जिला का समेकित अभ्यावेदन की सूची राज्य मुख्यालय को भेजेंगे, ताकि स्थानान्तरण / पदस्थापन का अनुरोध लेकर शिक्षक को पटना नहीं आना पड़े।

      किसी भी शिक्षक को प्रखण्ड मुख्यालय या जिला मुख्यालय नहीं बुलाया जायेगा। शिक्षकों का कार्य विद्यालय में शिक्षण कार्य करना है। मुख्यालय और जिला मुख्यालय का चक्कर लगाना नहीं है। प्रतिवेदन प्राप्त करना और प्रखंड पहुँचाने का कार्य प्रखंड संसाधन सेवी ( BRP) का काम होगा।

      वह विद्यालय के प्रधान अध्यापक से प्रतिवेदन प्राप्त करेंगे और प्रखण्ड मुख्यालय पहुँचायेंगे । विद्यालय के शिक्षकों को यदि जिला में कोई अभ्यावेदन देना हो तो वह भी प्राप्त कर प्रखंड संसाधन सेवी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में जमा करेंगे ताकि शिक्षक को अनावश्यक रूप से मुख्यालय या जिला मुख्यालय नहीं जाना पड़े।

      9. विद्यालय निरीक्षण: विद्यालयों के सतत् एवं शत प्रतिशत निरीक्षण हेतु इस कार्यालय के पत्रांक-76/गो., दिनांक- 06.06.24 द्वारा विस्तृत निदेश दिया गया है, ताकि निरीक्षण के सकारात्मक उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके। विद्यालय निरीक्षण की प्रक्रिया ऐसी बनाई गई है, जिससे विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था, आधारभूत संरचना, शिक्षकों-छात्रों की उपस्थिति इत्यादि में गुणात्मक सुधार हो।

      आज रैण्डम आधार पर विभिन्न पांच जिलों द्वारा ई-शिक्षा कोष पर अपलोड किए गए पांच निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा की गई, जो अत्यंत ही असंतोषजनक पाया गया। ऐसी स्थिति में जाँचकर्त्ता पर ही कार्रवाई की जायेगी। सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया जाता है कि वे जिला स्तर / मुख्यालय स्तर से प्राप्त सभी निरीक्षण प्रतिवेदन का स्वयं अध्ययन करेंगे और अनुश्रवण की नियमित व्यवस्था सुनिश्चित कर निरीक्षण प्रतिवेदन में पाई गई सभी त्रुटियों का निराकरण कराना सुनिश्चित करेंगे।

      मोबाईल अनुश्रवण: दिनांक 16.06.2024 से 05 मोबाइल पर विभिन्न प्रकार के शिकायत मोबाईल पर प्राप्त हो रहे हैं। उन मोबाईल मैसेज से आश्चर्यजनक तथ्य सामने आ रहे हैं। यदि सभी विद्यालय को शत-प्रतिशत निरीक्षण प्रतिदिन किया गया है तो इस प्रकार की शिकायतें नहीं आनी चाहिए। यह अपेक्षा की जाती है कि सभी विद्यालयों को गंभीरता से निरीक्षण किया जाय एवं गलत प्रतिवेदन पाये जाने पर निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई किया जाय।

      10. आउटसोर्स एजेंसी व्यवस्था: शिक्षा विभाग में विभिन्न कार्यों के त्वरित निष्पादन हेतु आउटसोर्स एजेंसी की व्यवस्था स्थापित की गई है। आउटसोर्स एजेसी के द्वारा मुहैया कराये गए मानवबल अगर ठीक से अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया जाए। इसी प्रकार अगर आउटसोर्स एजेंसी की सेवा असंतोषजनक एवं त्रुटिपूर्ण हो तो उस आउटसोर्स एजेंसी को भी हटाने या ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई की जाय।

      11. अन्यान्यः राज्य सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों मे नामांकित बच्चों को साईकिल, पुस्तक, पोशाक, छात्रवृति आदि सुविधाएँ दी जाती है। किंतु विभिन्न प्राप्त शिकायत में ऐसा देखा जा रहा है कि विद्यालय में अभी भी साईकिल, पुस्तक, पोशाक, छात्रवृति न मिलने की शिकायत प्राप्त हो रही है। सबसे ज्यादा शिकायत मध्याह्न भोजन योजना के संबंध में प्राप्त हो रहे है। इतनी बड़ी निरीक्षण व्यवस्था के बाद भी इस तरह की शिकायतें प्राप्त होना अत्यंत दुःखद व खेदजनक है। अतः जिला शिक्षा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि इस प्रकार की शिकायतें मुख्यालय स्तर तक न पहुँचे।

      अतएव सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी का यह दायित्व होगा कि राज्य में शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से चले एवं छात्रों व शिक्षकों का किसी भी स्तर पर भयादोहन न हो। शिक्षकों को सम्मान दिया जाय। शिक्षकों की उपस्थिति व शैक्षणिक कार्यों में जीरो टॉलरेंस की नीति को अपने अपने क्षेत्रों के अंतर्गत सुनिश्चित कराया जाए और आपके अधीनस्थ जो पूरी निरीक्षण व्यवस्था उपलब्ध है, उसका शत-प्रतिशत उपयोग करते हुए शिक्षण व्यवस्था को दुरूस्त करायें।

      इस पूरी व्यवस्था की समीक्षा जिला पदाधिकारी / उप विकास आयुक्त प्रत्येक सप्ताह करेंगे। इस समीक्षा का प्रतिवेदन जिला पदाधिकारी / उप विकास आयुक्त सीधे मेरे कार्यालय में भेजेंगे। उक्त निदेशों के अनुपालन में किसी प्रकार की कोताही आपके जिला की शिक्षा व्यवस्था में देखी जाती है तो इसकी पूर्ण रूप से जबावदेही आप पर निर्धारित कर दी जायेगी ।

      1 COMMENT

      1. सरकारी स्कूलों में सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को पढ़ने का कानून पास कर लागू कर दे खुद व खुद सुधार हो जाएगा शिक्षा विभाग का सरकारी स्कूल

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