पटना (नालंदा दर्पण)। बिहार में शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा पास करने वाले 48,000 से अधिक शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने फिर से काउंसलिंग का अवसर देने का निर्णय लिया हैं।
यह कदम उस समय उठाया गया जब 23,801 शिक्षकों के प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए और 96 शिक्षकों के प्रमाणपत्र प्रथम दृष्टया फर्जी मिले। शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक योगेंद्र सिंह ने इस संबंध में गुरुवार को आवश्यक निर्देश जारी किए।
बड़ी संख्या में शिक्षकों की काउंसलिंग अधूरीः सक्षमता परीक्षा में सफल एक लाख 87 हजार शिक्षकों में से 48,184 की काउंसलिंग विभिन्न कारणों से अधूरी रह गई थी। इनमें 3,366 शिक्षक ऐसे थे, जो काउंसलिंग के लिए उपस्थित ही नहीं हुए।
इसके अतिरिक्त 9,966 शिक्षक ऐसे पाए गए, जो अपने प्रमाणपत्र की मूल प्रति प्रस्तुत नहीं कर सके। शिक्षा विभाग अब इन्हें एक और मौका देगा, ताकि वे अपने दस्तावेजों को सही कर सकें और प्रक्रिया में भाग ले सकें।
संदिग्ध प्रमाणपत्रों के लिए विकल्पः शिक्षा विभाग ने 23,801 शिक्षकों के संदिग्ध प्रमाणपत्रों के लिए एक सॉफ्टवेयर विकल्प प्रदान करने की योजना बनाई हैं। इसके तहत शिक्षक अपने सही प्रमाणपत्रों को पोर्टल पर अपलोड कर सकेंगे।
इसके साथ ही पहले से अपलोड किए गए प्रमाणपत्र भी पोर्टल पर सुरक्षित रहेंगे। इस प्रक्रिया के जरिए शिक्षकों को अपने प्रमाणपत्रों को सही और वैध बनाने का मौका मिलेगा, जिससे उनके करियर पर कोई अनावश्यक बाधा न आए।
फर्जी प्रमाणपत्रों पर सख्त कार्रवाईः 96 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने के बाद, विभाग ने इन मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित की हैं। यह समिति सभी फर्जी प्रमाणपत्रों की गहन जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट संबंधित निदेशालय को सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिससे फर्जी शिक्षकों पर सख्त कदम उठाए जा सकें।
बायोमेट्रिक में विसंगतियां और नाम-जन्मतिथि में त्रुटियाः काउंसलिंग के दौरान 10,219 ऐसे शिक्षक भी मिले जिनके बायोमेट्रिक सत्यापित तो हुए, लेकिन उनके नाम, जन्मतिथि या आधार संख्या में त्रुटियां पाई गईं। ऐसे शिक्षक अपने संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास आवेदन कर इन त्रुटियों को सुधारने का मौका पा सकते हैं।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) द्वारा आवश्यक संशोधन किए जाएंगे, और यह सारा डेटा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
तबादले का विकल्प भी खुलाः जो शिक्षक अपने वर्तमान आवंटित जिले से संतुष्ट नहीं हैं, वे विभाग के नए नियमों के तहत दूसरे विकल्प भी दे सकते हैं। सक्षमता परीक्षा के समय शिक्षकों से तीन जिलों के विकल्प लिए गए थे और अब विभाग उन शिक्षकों को एक और मौका देने पर विचार कर रहा हैं ताकि वे अपनी पसंद के जिलों का चयन कर सकें। हालांकि यह निर्णय अभी आधिकारिक रूप से लागू नहीं हुआ हैं।
बहरहाल बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से न केवल शिक्षकों को अपनी काउंसलिंग पूरी करने का मौका मिलेगा, बल्कि संदिग्ध और फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच भी सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रक्रिया से शिक्षा विभाग के प्रशासनिक ढांचे में पारदर्शिता आएगी और योग्य शिक्षकों को उचित अवसर प्राप्त होंगे।
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