राजगीर (नालंदा दर्पण)। कोलकाता महानगर के पूर्व जादवपुर थाना क्षेत्र के फरार साइबर अपराधी देवाशीष बानिक को राजगीर होटल से गिरफ्तार किया गया है। आरोपी पर 5.11 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने का गंभीर आरोप है।
यह गिरफ्तारी कोलकाता पुलिस द्वारा राजगीर थाना पुलिस के सहयोग से की गई है। बिहारशरीफ व्यवहार न्यायालय की अनुमति के बाद कोलकाता पुलिस ने अभियुक्त को अपने साथ पश्चिम बंगाल ले जाने की प्रक्रिया पूरी की है।
कोलकाता पुलिस के मुताबिक आरोपी देवाशीष बानिक और उसके अन्य सहयोगियों ने मिलकर क्रिप्टोकरेंसी और ट्रेडिंग में निवेश के बदले लोगों को अधिक रिटर्न देने का वादा किया था। इसके माध्यम से उन्होंने शिवोम ट्रेडर्स और शिवोम एंटरप्राइजेज नामक दो फर्जी कंपनियों के तहत ठगी की।
आरोप है कि उच्च रिटर्न देने का झांसा देकर इन अपराधियों ने लोगों से भारी रकम वसूल की। लेकिन इसके बदले उन्होंने किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया। बल्कि आरोपियों ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लोगों को धोखा दिया और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
पुलिस के अनुसार देवाशीष बानिक पर 5.11 करोड़ रुपये की राशि गबन करने का आरोप है। वह 6 मार्च 2024 से अपने स्थायी पते से फरार था और गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने सभी संचार लिंक बंद कर दिए थे। पुलिस की जांच में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे- एग्रीमेंट, मनी रसीदें और अन्य प्रमाणित दस्तावेज जब्त किए गए हैं। जो ठगी में उपयोग किए गए थे।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) और अन्य संबंधित विनियामक प्राधिकरणों को भी नोटिस भेजे गए हैं। जिनसे जांच के दौरान पता चला कि आरोपी की लापरवाही सामने आई है।
जांच में यह भी पता चला कि आरोपी ने अपनी कंपनी ‘शिवोम एंटरप्राइजेज’ के लिए ट्रेड लाइसेंस भी प्राप्त किया था। यह कंपनी भूमि विकास और सिविल ठेकेदार से संबंधित थी। साथ ही राजगीर थाना में पूर्व जादवपुर थाना पुलिस द्वारा किए गए जांच में संबंधित बैंक खातों के स्टेटमेंट भी एकत्रित किए गए हैं और फंड ट्रेल का पता लगाने के लिए पैन सर्च भी किया गया है।
आरोपी देवाशीष बानिक और उसके सहयोगियों ने निवेशकों को आश्वासन दिया था कि वे क्रिप्टो ट्रेडिंग व्यवसाय से उन्हें लाभ लौटाएंगे। हालांकि इसके बाद वह एक साल के भीतर कई गुना अधिक रिटर्न देने का वादा कर निवेशकों से पैसे लेकर फरार हो गए थे। कुछ निवेशकों को पहले कुछ मासिक रिटर्न भी दिया गया था। लेकिन अंत में सभी धोखाधड़ी के शिकार हो गए।
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