सिलाव (नालंदा दर्पण)। नालंदा थाना क्षेत्र के जुआफर गांव में मंगलवार को जमीन विवाद को लेकर जबरदस्त बवाल हो गया। करीब 6 एकड़ खेत में लगी लहलहाती फसल को जेसीबी से नष्ट कर दिया गया। इसके विरोध में हुए संघर्ष में 100 राउंड से अधिक फायरिंग हुई। गोलीबारी के दौरान एक व्यक्ति को गोली लग गई। जबकि आक्रोशित ग्रामीणों ने एक बदमाश को पकड़कर जमकर पिटाई कर दी।
बता दें कि इस गांव में लंबे समय से 32 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है। जिस पर 90 किसान अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। लेकिन बिहारशरीफ के खानकाह निवासी मो. खान ने इस जमीन पर अपना दावा जताते हुए जबरन 6 एकड़ रकबे पर चहारदीवारी निर्माण शुरू करवा दिया।
इस निर्माण कार्य की जानकारी जैसे ही किसानों को मिली, वे वहां पहुंचकर जेसीबी से फसल नष्ट करने का विरोध करने लगे। इसी बीच दूसरे पक्ष के लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। इस गोलीबारी में जितेंद्र चौधरी नामक ग्रामीण के पैर में गोली लग गई।
गोलीबारी के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने सीओ (अंचलाधिकारी) को घेर लिया और उन पर भूमि कब्जा कराने का आरोप लगाया। ग्रामीणों का कहना था कि अधिकारी पक्षपात कर रहे हैं और वास्तविक मालिकों को न्याय नहीं मिल रहा। स्थिति तनावपूर्ण होने पर प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा बल बुलाया। जिसके बाद सीओ को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिस दल मौके पर पहुंचा और ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए एक बदमाश को हिरासत में लिया। घटनास्थल से खोखे (कारतूस के अवशेष) भी बरामद किए गए हैं।
इस जमीन को लेकर 1948 से किसानों की जमाबंदी कायम थी। लेकिन हाल ही में एडीएम (अपर जिला मजिस्ट्रेट) द्वारा इसे रद्द कर दिया गया। सीओ का कहना है कि जिस पक्ष ने चहारदीवारी बनाई, उसका उक्त भूमि पर कानूनी मालिकाना हक है।
वहीं राजगीर भूमि उप समाहर्ता का कहना है कि यह विवाद उनकी तैनाती से पहले का है। जो किसान जोत-आबाद कर रहे हैं। उनकी जमाबंदी पहले से वैध थी। लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया। मामला अदालत में विचाराधीन है।
बहरहाल, इस घटना के बाद से इलाके में तनाव व्याप्त है। प्रशासन की ओर से अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। ताकि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न हो। वहीं ग्रामीणों ने संपूर्ण मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपील की है।
अब इस विवाद को लेकर भूमि संबंधी न्यायिक प्रक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं। प्रभावित किसानों को न्याय मिलेगा या फिर प्रशासन का रुख किसी एक पक्ष के पक्ष में झुकेगा। यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन इस घटना ने यह तो स्पष्ट कर दिया कि बिहार में भूमि विवाद अब भी गंभीर समस्या बना हुआ है और प्रशासन की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
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