नालंदा दर्पण डेस्क। चंडी प्रखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव खत्म हो चुका है। चुनाव परिणाम के बाद कहीं खुशी तो कहीं गम देखा जा रहा है। चंडी प्रखंड के 13 पंचायतों में सिर्फ दो मुखिया ही कुर्सी बचाने में सफल रहें हैं।
वहीं हाल पंचायत समिति सदस्यों को रहा। आधे से ज्यादा सदस्यों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा है। वहीं जिला परिषद पश्चिमी ने अपना रिकॉर्ड बरकरार रखा तो पूर्वी ने इज्जत बचा ली।
चंडी प्रखंड के पश्चिमी जिला परिषद सीट से अब तक किसी को भी दूसरा मौका नहीं मिला है। जबकि कई दिग्गजों ने दूसरी बार जीत के लिए एड़ी-चोटी एक कर दिया लेकिन मतदाताओं ने उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया।
चंडी प्रखंड में 2001 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चंडी पश्चिमी से प्रो शत्रुघ्न प्रसाद को जिला परिषद सदस्य बनने का मौका मिला।
लेकिन 2006 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू होने के साथ ही पश्चिमी सीट अनुसूचित जाति में चली गई। जहां से मंजू देवी ने बाजी मारी।
वे सिर्फ जिला परिषद चुनाव ही नहीं जीती बल्कि जिला परिषद की अध्यक्ष भी पांच साल रहीं। 2011 में हुए चुनाव में मंजू देवी को हार का सामना करना पड़ा। उनके ही पड़ोसी गांव के प्रत्याशी कमलेश पासवान ने उन्हें हराकर चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
2016 में जिला परिषद पश्चिमी सीट महिला अनारक्षित हो गई तो यहां से समाजसेवी धनंजय कुमार ने अपनी मां रिटायर्ड शिक्षिका चंद्रकांति देवी को मैदान में उतार दिया। जहां उन्होंने जीत हासिल की।
लेकिन उनके निधन के बाद मतदाताओं ने समाजसेवी धनंजय कुमार की भावज प्रत्याशी पिंकी कुमारी को नकार दिया। उनकी जगह अनिता सिन्हा को मतदाताओं ने चुना।
इस बार फिर से अनिता सिन्हा चुनाव मैदान में थीं, लेकिन उन्होने मतदाताओं के मूड को भांपने में गलती कर दी। मतदाताओं ने उन्हें भी दूसरा मौका नहीं दिया।
हर बार की तरह मतदाताओं ने पांच साल बाद अपने प्रतिनिधि को बदलने का रिकॉर्ड बरकरार रखा। मतदाताओं ने नवोदित पिंकी कुमारी में विश्वास जताते हुए उन्हें पहली बार जीत का स्वाद चखाया।
अगला पंचायत चुनाव जो 2026 में होगा, उसमें आरक्षण रोस्टर बदलेगा। ऐसे में पिंकी कुमारी को दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरने का मौका नही भी मिल सकता है।
चंडी पश्चिमी जिला परिषद सीट पर हर पांच साल में मतदाता चेहरे बदलते आएं हैं और यह सिलसिला कम से कम 2026 तक तो जरूर चलेगा।
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उधर पूर्वी निर्वाचन क्षेत्र से मतदाताओं ने अपने पुराने जनप्रतिनिधि पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें दुबारा सेवा का मौका दिया है। पूर्वी निर्वाचन क्षेत्र से निरंजन मालाकार ने दूसरी बार जीत हासिल कर पूर्वी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
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