नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड पटना के सचिव के द्वारा जिले के सभी संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों तथा सचिवों को पत्र भेज कर कहा गया है कि नालंदा जिले के कई संस्कृत विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अनुमोदन के पूर्व ही अभ्यर्थियों को विद्यालय में नियुक्ति पत्र उपलब्ध करा दिया गया है। यह कार्य न्यायसंगत नहीं है।
उन्होंने बिहार राज्य अराजकीय प्रस्वीकृत संस्कृत विद्यालय शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली 2015 के नियम 8 (2) का हवाला देते हुए कहा है कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष एवं सचिव के द्वारा समिति की अनुशंसाओं की जांच की जायेगी।
समिति की अनुशंसाओं को अनुमोदित या अन-अनुमोदित अथवा अधिमानता क्रम में हेरफेर करके उसे उपांतरित कर समिति के पास एक माह के भीतर भेज देंगे। जब संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष अथवा सचिव ऐसा करेंगे तो करने का लिखित कारण भी संसूचित किया जाएगा।
बोर्ड के सचिव ने यह भी कहा है कि शिक्षा एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति संबंधी विशेष सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना के यहां दायर विभिन्न वादों की सुनवाई के दौरान ऐसे मामले संज्ञान में आए हैं कि विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव के द्वारा बिना संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अनुमोदन के ही कई अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है।
ऐसे में संबंधित विद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव ही व्यक्तिगत रूप से दोषी माने जाएंगे। ऐसे सचिवों के विरुद्ध संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यदि प्रधानाध्यापक द्वारा भी विद्यालय प्रबंध समिति के सचिव पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है तो जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक का वेतन स्थगित करते हुए विद्यालय के सचिव पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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