बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। जहां एक ओर सरकार अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने की दिशा में कदम उठाती रहती है। ताकि रोगियों को सहज रूप से बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान हो सकें। परंतु जिला मुख्यालय स्थित बिहारशरीफ सदर अस्पताल में कई रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं।
यहां पर न तो रेडियोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक और नहीं चर्म एवं रति रोग जैसी गंभीर बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थापित हैं। लिहाजा मरीजों को इन रोगों के इलाज के लिए फजीहत उठानी पड़ती है।
हाल के वर्षों में तैनात किये गये दो रेडियोलॉजिस्ट, पर योगदान के बाद काम पर नहीं लौटे: सरकार की ओर से दो-तीन साल के दरम्यान यहां पर दो रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती अलग-अलग समय में की गयी। पर विडम्बना है कि संबंधित रेडियोलॉजिस्ट योगदान देने के बाद कार्य शुरू नहीं कर पाये। लिहाजा यह पद भी एक तरह से खाली ही रह गया।
रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में जरूरत मंद मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच की सेवा नहीं मिल पाती है। यहां पर सिर्फ प्रसूताओं को फिलहाल अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा मिल पा रही है। शेष अन्य मरीजों को जब इसकी आवश्यकता होती है तो निजी जांच घरों का सहारा लेना पड़ता है। जांच में अधिक खर्च उठाना पड़ता है।
इसी तरह यहां मनोचिकित्सक के एक पद स्वीकृत हैं। पर उसकी तैनाती नहीं है। लिहाजा मनोरोग के रोगी भी इलाज के लिए निजी मनोचिकित्सक का सहारा लेने को विवश हैं। हालांकि पावापुरी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में अल्ट्रासाउंड, चर्म रोग विशेषज्ञ तैनात हैं। वहां जाने पर रोगियों को मुफ्त में उक्त सेवाएं मिल जाती हैं।
इएनटी के छह पदों पर मात्र एक डॉक्टर तैनातः सरकार की ओर से सदर अस्पताल में कई रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। जैसे मनोचिकित्सक के एक, रेडियोलॉजिस्ट के एक, चर्म रोग विशेषज्ञ के एक तथा नाक, कान व गला रोग के छह पद स्वीकृत हैं। लेकिन मनोचिकित्सक, रेडियोलॉजिस्ट, चर्म रोग विशेषज्ञ के पद वर्षों से खाली पड़े हैं।
वहीं नाक, कान व गला रोग के विशेषज्ञ के छह पदों में से एक पद पर डॉक्टर तैनात हैं। करीब आठ साल से चर्म रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। इस पद पर तैनात रहे डॉक्टर के पावापुरी मेडिकल कॉलेज में पदस्थापना होने के बाद से अब तक रिक्त पद पर सरकार की ओर से तैनाती नहीं हो पायी है।
लिहाजा चर्म रोग के रोगी जब इलाज के लिए यहां पर आते हैं तो पता चलता है कि इस रोग के विशेषज्ञ तैनात सदर अस्पताल बिहार शरीफ नहीं हैं तो उन्हें निराशा हाथ ही लगती है। ऐसे रोगी निराश होकर लौट जाने को विवश हो जाते हैं।
आर्थिक रूप से संपन्न मरीज शहर के आर्थिक रूप से संपन्न मरीज शहर के निजी चर्म रोग विशेषज्ञों के यहां जाकर इलाज कराते हैं। वहीं गरीब, असहाय, लाचार मरीज चाहकर भी निजी डॉक्टरों के यहां इलाज कराने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। क्योंकि निजी डॉक्टरों के यहां इलाज में अधिक खर्च का वहन करना पड़ता है। हर दिन करीब बीस से तीस चर्म रोगी अस्पताल पहुंचते हैं।
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