राजगीर (नालंदा दर्पण)। भगवान बुद्ध की कर्मस्थली राजगीर में उनके जीवन से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। पर्यटन स्थल के रूप में विख्यात राजगीर में बौद्ध स्थलों का सर्वेक्षण शुरू हो गया है। जिसके तहत एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
इस सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों की एक टीम राजगीर पहुंची है। यह टीम स्थलों के ऐतिहासिक महत्व, पर्यटकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और स्थानीय लोगों की आजीविका पर इसके प्रभाव का अध्ययन कर रही है।
सर्वेक्षण टीम में शामिल विशेषज्ञों ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों, स्थानीय दुकानदारों, देसी-विदेशी पर्यटकों से बातचीत कर जरूरी जानकारियां जुटाई हैं। टीम ने राजगीर पर्यटक सूचना केंद्र का भी दौरा किया।
मगध विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के वरिष्ठ सहायक आचार्य और परियोजना निदेशक डॉ. पिंटू कुमार ने बताया कि यह सर्वेक्षण भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के तहत एक शोध परियोजना का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य बौद्ध सर्किट के विकास, इससे जुड़ी चुनौतियों और स्थानीय लोगों की आजीविका पर इसके प्रभाव का विश्लेषण करना है। पिछले तीन महीनों से चल रहे इस सर्वेक्षण में अब तक 50 से अधिक बौद्ध स्थलों का अध्ययन किया जा चुका है।
डॉ. पिंटू कुमार ने कहा कि इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर बौद्ध सर्किट के विकास के लिए ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। यह परियोजना बिहार के पर्यटन मानचित्र पर राजगीर और अन्य बौद्ध स्थलों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है।
सर्वेक्षण के दौरान बोधगया और राजगीर के अलावा वैशाली का विश्व शांति स्तूप, कोल्हूआ का अशोक स्तंभ, केसरिया स्तूप, लौरिया नंदन, अरेराज, राजा विशाल का गढ़, पुष्कर्णी तालाब और बौद्ध संग्रहालय जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को शामिल किया गया है। टीम ने इन स्थलों के इतिहास, वर्तमान स्थिति और पर्यटकों के लिए सुविधाओं का गहन अध्ययन किया है।
सर्वेक्षण के दौरान म्यांमार भूटान, जापान, मलेशिया, वियतनाम, कनाडा, इंग्लैंड, अमेरिका और नेपाल जैसे देशों से आए 500 से अधिक विदेशी पर्यटकों से बातचीत की गई। इसके अलावा करीब 400 देसी पर्यटकों से भी उनकी राय और अनुभव साझा किए गए। पर्यटकों ने राजगीर और अन्य स्थलों पर मूलभूत सुविधाओं की कमी को प्रमुख समस्या बताया।
सर्वेक्षण टीम के सदस्यों- रिसर्च असिस्टेंट कृतिका मुखर्जी, शोधार्थी आकाश रंजन, पिंटू कुमार और वीरेंद्र कुमार ने बताया कि राजगीर में पर्यटक स्थलों पर शौचालय, पेयजल, साफ-सफाई और सुरक्षा की घोर कमी है। कुछ शौचालय मौजूद हैं, लेकिन उनकी देखरेख नहीं की जाती। गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या और गंभीर हो जाती है। पर्यटकों का कहना है कि इन सभी जगहों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की सख्त जरूरत है।
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