नालंदा दर्पण डेस्क। इन दिनों देश के विभिन्न राज्यों में भारी मात्रा में करोड़ों-अरबों रुपए की नकली दवाई छापेमारी में पकड़ी जा रही है, जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है। आईए देखते हैं कि हम कैसे इन नकली और असली दवाइयां में फर्क पहचान सकते है…
- दवाइयां हमेशा लाइसेंस स्टोर/दुकान से ही खरीदें (यह लाइसेंस दुकान में डिस्प्ले होना चाहिए) और बिल जरूर लें।
- ऑनलाइन दवाइयां खरीदने से बचना चाहिए। इसमें फ्रॉड की संभावना ज्यादा होती है।
- दवाई की कीमत और ऑफर में अक्सर नकली दवाइयां आपको काफी सस्ती और डिस्काउंट पर मिलेंगे।
- पैकेजिंग में फर्क। अगर आपको दवाई के प्रिंटिंग में कोई स्पेलिंग मिस्टेक या डिजाइन में फर्क दिखता है तो सावधान हो जाइए वह दवाई नकली हो सकती है।
- दवाइयां पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चर डेट और एक्सपायरी डेट लिखी होनी चाहिए।
- अगर आपको दवाइयों के पैकेट पर बारकोड, यूनिक कोड या क्यूआर कोड नहीं दिखाई देता तो ऐसे में उन दवाइयों को खरीदने से बचें।
- अगर आप ध्यान से देखेंगे तो नकली दवाई की ऊपरी परत आमतौर पर सिकुड़ी हुई और खराब मिलेगी।
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