बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद कई निजी स्कूल ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपने छात्रों की प्रोफाइल अपलोड करने में लापरवाही बरत रहे हैं। इन निर्देशों की अवहेलना करने वाले 34 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है। इसके साथ ही अन्य 19 स्कूल भी विभागीय जांच के दायरे में हैं, जिन पर जल्द ही कार्रवाई होने की संभावना है।
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की अनुशंसा पर इन 34 स्कूलों का यू-डायस कोड रद्द कर दिया गया है। यू-डायस (Unified District Information System for Education) कोड एक अनिवार्य शैक्षिक पहचान संख्या है, जिसे शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रत्येक स्कूल को प्रदान किया जाता है। इसके बिना स्कूल की मान्यता समाप्त मानी जाती है। अब ये स्कूल न तो नए नामांकन ले सकेंगे और न ही अपना संचालन जारी रख सकेंगे। विभाग ने यह भी आदेश दिया है कि इन स्कूलों को अपने बैनर हटाने होंगे। जिससे वे अब विधिवत बंद माने जाएंगे।
यू-डायस कोड क्यों है महत्वपूर्ण? यू-डायस कोड सभी स्कूलों के लिए आवश्यक है। विशेषकर सीबीएसई और आईसीएसई मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए। इस कोड के माध्यम से शिक्षा विभाग को स्कूलों की नामांकन संख्या, छात्रों का विवरण और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। अगर किसी स्कूल का यू-डायस कोड रद्द होता है तो उसकी सीबीएसई और आईसीएसई की मान्यता भी खत्म हो जाती है। जिससे वे स्कूल विधिक रूप से काम नहीं कर सकते।
छात्रों के भविष्य की सुरक्षाः शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि इन बंद हो रहे स्कूलों के छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो। जिन छात्रों का इन स्कूलों में नामांकन था, उन्हें निकटवर्ती सरकारी स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस प्रक्रिया को तेजी से लागू किया जा रहा है। ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
फर्जी स्कूलों का खुलासाः यू-डायस कोड की समीक्षा के दौरान सैकड़ों फर्जी निजी स्कूल भी सामने आए हैं। इनमें से कई स्कूल नामांकन संख्या और छात्रों का विवरण देने में विफल रहे हैं। कई स्कूल तो यू-डायस कोड को बंद करने का आग्रह भी कर रहे हैं। जिससे यह संदेह और पुख्ता होता है कि वे शिक्षा प्रणाली में धोखाधड़ी कर रहे थे।
डीईओ का बयानः डीईओ राज कुमार के अनुसार ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर छात्र-छात्राओं का डेटा अपलोड करने में निजी स्कूलों की भारी लापरवाही सामने आई है। जब उनसे बच्चों की संख्या और जानकारी मांगी जा रही है तो कई स्कूल इसे देने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं। संघों के माध्यम से बार-बार सूचना देने के बावजूद ये स्कूल निर्देशों का पालन नहीं कर रहे थे। जिसके परिणामस्वरूप अब कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
भविष्य की कार्रवाईः 19 और निजी स्कूलों पर भी कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है। जिन्होंने अभी तक अपने छात्रों की प्रोफाइल अपलोड नहीं की है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि इन स्कूलों ने जल्द ही अनुपालन नहीं किया तो उनके खिलाफ भी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल, बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग का यह सख्त कदम महत्वपूर्ण है। निजी स्कूलों की अवहेलना के बावजूद सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती रहे।
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