बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक खुशखबरी है। अब उनके स्कूल परिसर में ताजे फल और सब्जियों की बहार होगी। मनरेगा योजना के तहत जिले के 17 चयनित सरकारी स्कूलों में पोषण वाटिका विकसित की जाएगी। इस पहल से न केवल बच्चों को पौष्टिक आहार मिलेगा, बल्कि स्कूलों के खाली परिसर भी हरियाली से आच्छादित होंगे। प्रत्येक पोषण वाटिका के निर्माण पर 35.5 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे और तीन महीनों में इन्हें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस पोषण वाटिका में आम, अमरूद, नींबू, जामुन, अनार जैसे फलदार पौधों के साथ-साथ मौसमी सब्जियों की खेती की जाएगी। इन वाटिकाओं में पौधों की आपूर्ति जीविका दीदी की नर्सरियों से होगी। यह योजना केंद्र सरकार के निर्देश पर शुरू की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है। वाटिका में उगाए गए फल और सब्जियां बच्चों के मिड-डे मील में शामिल किए जाएंगे। ताकि उन्हें संतुलित और पौष्टिक भोजन मिल सके।
जिला शिक्षा विभाग के अनुसार यह योजना प्राथमिक और मध्य विद्यालयों (कक्षा 8 तक) में लागू होगी। फिलहाल परवलपुर, बिंद और सरमेरा नगर पंचायत क्षेत्र के स्कूल इस सूची में शामिल नहीं हैं। प्रत्येक वाटिका की देखरेख के लिए एक वनपोषक नियुक्त किया जाएगा। जिसे मनरेगा के तहत मजदूरी दी जाएगी। मनरेगा श्रमिक स्कूल परिसर में खाली जमीन को खेती के लिए तैयार करेंगे और वाटिका को विकसित करेंगे।
फिलहाल प्रथम चरण में नालंदा जिले के निम्नलिखित 17 स्कूलों को पोषण वाटिका के लिए चिन्हित किया गया है-
हरनौत: पीएस रुपसपुर।
कतरीसराय: यूएमएस कतरीडीह।
एकंगरसराय: यूएमएस कुंदावर।
नूरसराय: यूएमएस तलाबपर।
राजगीर: पीएस लक्ष्मीपुर, भुई।
रहुई: कुमरडीह, सोसंडी।
इस्लामपुर: एमएस चंधारी।
थरथरी: यूएमएस भिखनपुर, अमेरा।
बेन: एमएस कुतरुपुर, नोहसा।
करायपरसुराय: यूएमएस चंदकुरा, डियावां।
नगरनौसा: एमएस महमदपुर, कैला।
अस्थावां: एएमएस चंदीन, डुमरावां।
गिरियक: पीएस बराई, प्यारेपुर।
चंडी: एमएस तुलसीगढ़।
हिलसा: एमएस गौरा, अरपा।
कैसे बनेगी पोषण वाटिका? मनरेगा के तहत स्कूल परिसर में खाली पड़ी जमीन को खेती के लिए उपयुक्त बनाया जाएगा। मनरेगा श्रमिक जमीन की खुदाई, समतलीकरण और खाद-पानी की व्यवस्था करेंगे। इसके बाद जीविका दीदी की नर्सरियों से फलदार पौधे और सब्जियों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रत्येक वाटिका को व्यवस्थित और टिकाऊ बनाने के लिए ड्रिप इरिगेशन और जैविक खेती जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी किया जा सकता है।
कितना महत्वपूर्ण है यह योजना? नालंदा जिले में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके भोजन में पोषक तत्वों की कमी एक बड़ी चुनौती रही है। पोषण वाटिका योजना न केवल बच्चों को ताजा और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराएगी, बल्कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती के प्रति भी जागरूक करेगी। साथ ही, यह योजना मनरेगा श्रमिकों और जीविका दीदियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी।
बहरहाल जिला प्रशासन ने सभी प्रखंड मनरेगा पदाधिकारियों को इस योजना को समयबद्ध तरीके से लागू करने के निर्देश दिए हैं। प्रथम चरण में 17 स्कूलों में यह योजना शुरू हो रही है। लेकिन भविष्य में इसे अन्य स्कूलों तक विस्तारित करने की संभावना है। शिक्षा विभाग और मनरेगा अधिकारियों के बीच समन्वय से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वाटिकाएं न केवल बनें, बल्कि लंबे समय तक उत्पादक भी रहें।
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