एकंगरसराय (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ-एकंगरसराय मुख्य मार्ग पर अवस्थित है मघड़ा गांव। जहां मां शीतला का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टम तिथि को हर वर्ष प्रसिद्ध शीतला अष्टमी मेले का आयोजन किया जाता है।
इस मेला में नालंदा जिले के साथ आस-पड़ोस के शेखपुरा, पटना, नवादा, जहानाबाद आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। हालांकि शीतला मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन शीतला अष्टमी के यहां भव्य मेला का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट पहुंचते हैं।
इस दौरान श्रद्धालु प्रसिद्ध मंदिर के सट्टे तालाब में स्नान कर मां शीतला की पूजा अर्चना करते हैं। जिसका काफी पौराणिक महत्व रहा है।
मान्यता है कि मां शीतला के मंदिर परिसर में बने शीतल कुंड तालाब में स्नान कर मंदिर में पूजा अर्चना करने से चेचक जैसी भयानक संक्रामक बीमारी से निजात मिल जाता है। निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति तथा निर्धन लोगों को धन की भी प्राप्ति होती है।
इस बार चैत्र माह के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि यानी सोमवार से ही मां शीतला मंदिर परिसर में भक्तों का रेला उमड़ने लगेगा। इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि सप्तमी के दिन ही मां शीतला के नाम से अरवा चावल, चना का दाल, साग, पुड़ी, हलवा आदि पकवान पकाए जाते हैं और माता को भोग लगाया जाता है।
इसके ठीक अगले दिन अष्टमी तिथि को यानी मंगलवार को मघड़ा व आसपास के इलाके में ही नहीं, बल्कि माता में आस्था रखने वाले तमाम लोगों के घर में चूल्हे नहीं जलते हैं।
इस दिन यदि किसी के घर में कोई अतिथि भी आ जाए तो चाय तक नहीं बनायी जाती है। सप्तमी को बने प्रसाद को लोग अष्टमी को बसियौरा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। लोग अपने सगे संबंधियों को यही भोजन प्रसाद के रूप में परोसते हैं।
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