बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में ऑनलाइन खरीदारी की लहर ने लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं, लेकिन इस सुविधा के साथ साइबर ठगी और फरेबी व्यापारियों की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।
आधुनिक उपकरणों से लेकर चावल-दाल तक लोग अब हर छोटी-बड़ी जरूरत के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर होते जा रहे हैं। लेकिन यह सुविधा न केवल स्थानीय व्यवसायियों के लिए चुनौती बन गई हैं, बल्कि आम जनता को ठगी और धोखाधड़ी का शिकार बना रही हैं।
जिले में ऑनलाइन खरीदारी का असर इतना बढ़ गया हैं कि इससे 35 से 45 प्रतिशत तक स्थानीय व्यवसाय प्रभावित हो चुके हैं। दुकानदारों का कहना हैं कि लोग अब ऑनलाइन मिलने वाले आकर्षक ऑफर्स के जाल में फंसते जा रहे हैं, जिससे उनके खुद के ग्राहक कम होते जा रहे हैं।
खासकर पर्व-त्योहार के समय जब ऑनलाइन कंपनियां भारी छूट और ऑफर्स का ऐलान करती हैं, तब घर बैठे खरीदारी करने का आकर्षण लोगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की ओर खींच लेता हैं।
ऑनलाइन ठगी का बढ़ता जालः ऑनलाइन शॉपिंग के इस रुझान में सबसे बड़ा खतरा हैं साइबर ठगी का जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा हैं। परवलपुर में हुई एक घटना इसका ज्वलंत उदाहरण हैं। जहां एक व्यक्ति ने कृषि उपकरण ऑर्डर किया था, लेकिन डिलीवरी में पैकेट से आलू निकला।
इसी तरह कई मामलों में ग्राहकों को गुणवत्ताहीन या गलत उत्पाद भेजे जा रहे हैं। एक अन्य मामला बिहारशरीफ का हैं। एक युवक ने 15 हजार रुपए का मोबाइल ऑर्डर किया, लेकिन डिलीवरी के वक्त बॉक्स से बर्तन धोने वाला साबुन निकला। पीड़ित ने इस घटना का वीडियो बनाकर कंपनी से अपने पैसे वापस करने का दावा किया।
साइबर अपराधियों की गिरफ्तारीः राज्य की पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने हाल ही में नालंदा सहित कई जिलों में छापेमारी कर 58 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया। जिनमें से आधा दर्जन नालंदा से हैं। ये अपराधी विशेष रूप से पर्व-त्योहार के सीजन में लोगों को लुभावने ऑफर्स के बहाने ठगी करते हैं।
बिंद, परवलपुर, हिलसा और बिहारशरीफ जैसे क्षेत्रों में ठगी के कई मामले सामने आए हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह हैं कि ठगी के शिकार लोग उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराने से बचते हैं। जिससे इन घटनाओं पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाता हैं।
स्थानीय व्यवसाय पर प्रभावः ऑनलाइन कारोबार के चलते स्थानीय दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। नालंदा के छोटे व्यापारियों का कहना हैं कि अब ग्राहक सीधे ऑनलाइन खरीदारी को तरजीह दे रहे हैं। इससे उनके व्यवसाय में गिरावट आई हैं। पहले जहां ग्राहक बाजार में आकर खरीदारी करते थे। अब वे घर बैठे ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से सामान मंगवाने लगे हैं।
युवाओं में ऑनलाइन खरीदारी का क्रेजः ठगी के बावजूद, ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज खासकर युवाओं में बढ़ता जा रहा हैं। परवलपुर के एक युवक ने 1620 रुपये का स्मार्ट वॉच ऑनलाइन मंगवाया। लेकिन डिलीवरी के वक्त उसे कांच की गोली मिली।
उसने डिलीवरी बॉय के सामने ही पैकेट खोलकर वीडियो बनाया और कंपनी से पैसे वापस पाने का दावा किया। इस तरह की घटनाएं आम हो चुकी हैं। पर फिर भी लोग ऑनलाइन खरीदारी के आकर्षण से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं।
क्या हैं समाधान? विशेषज्ञों का मानना हैं कि ऑनलाइन खरीदारी करते समय सतर्कता जरूरी हैं। किसी भी ऑफर या छूट के लालच में बिना सोच-समझे भुगतान करना खतरनाक हो सकता हैं।
साथ ही उपभोक्ताओं को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए और ठगी का शिकार होने पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
ऑनलाइन शॉपिंग सुविधाजनक हैं। लेकिन इसके साथ जुड़े जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनता को ऑनलाइन लेन-देन के दौरान सतर्क रहने की जरूरत हैं। ताकि वे इन ठगी के जाल से बच सकें।
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