राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर की अध्यक्षता में आरआईसीसी राजगीर में आगामी 11वीं जेठियन-राजगीर धम्म यात्रा के सफल आयोजन हेतु समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह यात्रा 13 दिसंबर 2024 को आयोजित की जाएगी। इस बैठक में संबंधित पदाधिकारियों ने भाग लिया और यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए सभी आवश्यक तैयारियों की समीक्षा की गई।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि यात्रा के दौरान विधि-व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था और यातायात प्रबंधन को सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सभी संबंधित विभागों से सामंजस्य स्थापित कर यात्रा को सफल बनाने का आह्वान किया। इस बैठक में नगर आयुक्त, उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी, पुलिस अधिकारी, नव नालंदा महाविहार के कुल सचिव समेत कई प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे।
यह धम्म यात्रा नव नालंदा महाविहार के नेतृत्व में 2014 से हर वर्ष आयोजित की जा रही है। इसका आयोजन लाइट ऑफ बुद्ध धम्म फाउंडेशन इंडिया, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति, अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्फिडेरेशन और बिहार पर्यटन विभाग के सहयोग से किया जाता है।
यह यात्रा गया जिले के जेठियन ग्राम (प्राचीन नाम: यष्ठिवन) से शुरू होकर राजगीर के वेणुवन में समाप्त होती है। यात्रा मार्ग करीब 15 किलोमीटर लंबा है, जो भगवान बुद्ध के प्राचीन चारिका पथ का अनुसरण करता है।
यात्रा में हर वर्ष विश्वभर से 1500 से अधिक धम्म यात्री और श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इतिहास और संस्कृति से जुड़ी महत्त्वपूर्ण धरोहर को सजीव करता है।
यह धम्म यात्रा उस ऐतिहासिक घटना को याद करती है जब भगवान बुद्ध ने सम्यक सम्बोधि प्राप्ति के बाद मगधराज बिम्बिसार से भेंट के लिए राजगृह नगर (राजगीर) जाने का निर्णय लिया। इसी मार्ग पर यष्ठिवन (वर्तमान जेठियन) में बिम्बिसार ने अपने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ भगवान बुद्ध का स्वागत किया था।
बिम्बिसार ने राजकीय उद्यान वेणुवन को बुद्ध और उनके भिक्षु संघ को दान में समर्पित किया था। यह घटना बौद्ध धर्म के इतिहास में अद्वितीय है और धम्म यात्रा उसी पवित्र मार्ग का अनुसरण करती है।
इस यात्रा के लिए सुरक्षा और सुविधा को लेकर व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। पुलिस, प्रशासन और स्थानीय नागरिक मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं। जेठियन और राजगीर में श्रद्धालुओं के लिए आवास, पेयजल, चिकित्सा और यातायात की विशेष व्यवस्था की जाएगी।
यह यात्रा न केवल भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके ऐतिहासिक मार्ग का सम्मान करती है, बल्कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं के बीच एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी माध्यम बनती है।
नालंदा के प्रशासनिक अधिकारियों और नव नालंदा महाविहार की इस पहल से उम्मीद है कि यह धम्म यात्रा विश्व पटल पर बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और अधिक गौरव प्रदान करेगी।
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