बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पुलिस विभाग ने एक बड़ा कदम (Bihar DGP’s strict order) उठाया है। बिहार पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे सड़कों पर दौड़ रहे फर्जी प्रेस, पुलिस, आर्मी लिखे वाहनों की गहन जांच करें और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करें।
हाल के दिनों में यह देखा गया है कि कई निजी वाहनों पर प्रेस, पुलिस, आर्मी जैसे शब्द अंकित कर बिना किसी वैध पहचान के सड़क पर दौड़ाया जा रहा है। इन वाहनों में अधिकतर मामलों में कोई पुलिसकर्मी या पत्रकार नहीं होते। जिससे असामाजिक और अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों द्वारा इनका दुरुपयोग करने की संभावना बनी रहती है।
पुलिस के अनुसार फर्जी प्रेस और पुलिस लिखे वाहनों का उपयोग कई अपराधों में किया जा सकता है। जब ऐसे वाहन जांच के दायरे से बाहर रहते हैं तो असामाजिक तत्व इन्हें तस्करी, ठगी, धोखाधड़ी, अपहरण, जालसाजी और अन्य अपराधों में इस्तेमाल कर सकते हैं। यही कारण है कि पुलिस अब इस पर सख्ती से नजर बनाए हुए है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने सभी यातायात पुलिस और स्थानीय थानों को इन वाहनों की विस्तृत जांच करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अब से संदिग्ध वाहनों को रोककर कागजातों की जांच की जाएगी और अगर कोई बिना अनुमति या फर्जी पहचान के प्रेस, पुलिस, आर्मी लिखे हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि नालंदा समेत बिहार में पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जहां अपराधी प्रेस या पुलिस लिखी गाड़ियों का इस्तेमाल कर लोगों को धोखा देते रहे हैं। कुछ मामलों में इन वाहनों का उपयोग फर्जी वसूली, अवैध हथियारों की तस्करी और अपराधिक गतिविधियों के लिए किया गया।
इस संदर्भ में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि किसी भी निजी वाहन को प्रेस, पुलिस या आर्मी लिखने की अनुमति नहीं है। जब तक कि वह वास्तव में संबंधित संस्था से अधिकृत न हो। अब से ऐसे वाहनों पर नजर रखी जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
इस आदेश के तहत अब से सभी जिलों में विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। जिन वाहनों पर गैरकानूनी तरीके से प्रेस, पुलिस या आर्मी लिखा पाया जाएगा, उनके मालिकों पर जुर्माना लगाया जाएगा। वाहन जब्त किए जा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि अगर उन्हें कहीं भी संदिग्ध प्रेस, पुलिस या आर्मी लिखी गाड़ियाँ दिखाई दें तो तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें। इससे अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और असामाजिक तत्वों के मंसूबे नाकाम होंगे।
बहरहाल बिहार पुलिस का यह कदम अपराध नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। अगर इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू किया गया तो इससे फर्जी पहचान के आड़ में होने वाले अपराधों पर रोक लगेगी और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। अब देखना है कि यह अभियान कितना कारगर साबित होता है और अपराधियों पर किस हद तक शिकंजा कसता है।
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