बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की हैं। वर्ष 2024 के लिए निर्धारित अवकाश के अतिरिक्त शिक्षा विभाग ने छठ पर्व की तैयारी के लिए एक विशेष अवकाश देने का निर्णय लिया हैं। यह कदम राज्य के राजकीय, राजकीयकृत तथा अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा हैं।
छठ पर्व के सम्मान में खरना (लोहण्डा) के लिए 6 नवम्बर, 2024 (बुधवार) को एक विशेष अवकाश घोषित किया गया हैं। अब उनकी छुट्टी 6 नवंबर से 9 नवंबर तक हो जाएगी। इस छुट्टी के माध्यम से शिक्षकों को त्योहार के दौरान अपनी पारिवारिक और धार्मिक गतिविधियों को अच्छे से प्रबंधित करने का समय मिलेगा। इस निर्णय के अनुमोदन से शिक्षकों में खुशी की लहर हैं, क्योंकि यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण पर्व हैं।
इस संबंध में निदेशक योगेन्द्र सिंह द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया हैं कि इस अवकाश की सूचना सभी प्रमंडलीय आयुक्तों, जिला पदाधिकारियों और क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों को दी गई हैं, ताकि वे आवश्यक कार्यवाही कर सकें। यह निर्णय शिक्षकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए लिया गया हैं, जो उनके समर्पण और कठिनाईयों को मान्यता देता हैं।
बता दें कि छठ पर्व एक प्राचीन और महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व चार दिवसीय अनुष्ठान होता है, जिसमें श्रद्धालु विशेष रूप से सूर्य देवता और उनकी पत्नी, उषा की पूजा करते हैं।
इस दौरान लोग अपने शरीर और मन को पवित्र करने के लिए व्रत रखते हैं और विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्व रखता है।
छठ पर्व का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह सूर्य देवता को समर्पित है, जिन्हें जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और संतान सुख की प्राप्ति तथा पूरे परिवार की भलाई की प्रार्थना करते हैं।
इस अवसर पर विशेष पकवान जैसे ठेकुआ, चिउड़े और फल बनाए जाते हैं, जो श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक होते हैं। पर्व के दौरान, लोग गंगा या अन्य जल स्रोतों के किनारे पूजा करते हैं, जहां सूर्य की पहली किरण के साथ अर्घ्य दिया जाता है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और पीढ़ी दर पीढ़ी इसे निभाने का प्रयास किया जा रहा है।
छठ पर्व की सामाजिक महत्वता भी उल्लेखनीय है। यह पर्व समाज की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग एकसाथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं, जिससे समाज में सामंजस्य और सहयोग की भावना को बल मिलता है।
छठ का त्योहार न केवल धार्मिक अनुशासन को बढ़ावा देता है, बल्कि यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का कार्य भी करता है। इस प्रकार छठ पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक संघटन का भी प्रतीक है।