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    Saturday, July 27, 2024
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      काम और कुर्सी के इंतजार में दिन काट रहे हैं नालंदा के पूर्व डीपीओ

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी के मौखिक आदेश पर नालंदा जिले के पूर्व डीईओ जियाउल होदा खां ने 6 मार्च को फिर से जिला शिक्षा कार्यालय में योगदान किया हैं। लेकिन, योगदान करने के हफ्तेभर बाद भी किसी तरह का कार्य करने की उन्हें जिम्मेवारी नहीं सौंपी गयी है। या यूं कहें कि जिले में वापसी तो हुई लेकिन काम और कुर्सी मिलने के इंतजार में दिन काटना पड़ रहा है।

      हद तो यह कि इनके बैठने के लिए स्थायी कार्यालय की भी व्यवस्था नहीं की गयी है। काम का आवंटन नहीं होने की वजह से पूर्व डीईओ किसी तरह दिन काट रहे हैं। जिले में पांच डीपीओ के पद स्वीकृत हैं। जबकि नये डीईओ ने भी कार्यभार संभाल लिया है। डीईओ व डीपीओ के सभी पदों पर पहले से अधिकारी तैनात हैं।

      ऐसे में नये डीईओ राजकुमार ने बताया कि अवकाश रक्षित डीपीओ पद पर पूर्व डीईओ काम करेंगे। इसके लिए डीएम से सहमति लेने की तैयारी की जा रही है। वहीं, पूर्व डीईओ का कहना है कि जिला शिक्षा कार्यालय में अवकाश रक्षित डीपीओ जैसा कोई पद स्वीकृत नहीं है। एक हफ्ते पहले योगदान तो करा लिया गया। लेकिन, किसी तरह का संभाग नहीं दिया जा सका है।

      कभी हुआ करते थे आलाकमानः कई शिक्षकों ने बताया कि विभागीय अनदेखी की वजह से डीईओ कार्यालय के पूर्व आलाकमान (डीईओ) आज खुद संभाग मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इससे बड़ी विडंबना शिक्षा विभाग के लिए क्या हो सकती है।

      हद तो यह कि कभी पूर्व डीईओ कार्यालय के अधिनस्थ कर्मियों को आदेश जारी करते थे। आज वे स्वयं कुर्सी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, विभागीय नियम के अनुसार किसी भी पदाधिकारी को वेतन का भुगतान उनके रिक्त पद के आधार पर ही करने का प्रावधान है।

      बिहार अराजपत्रित शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संजय शिक्षा कुमार सिन्हा के अलावा सुनील कुमार व अन्य ने बताया कि पूर्व डीईओ ने प्रोन्नति का मामला तेज गति से निपटारा कराकर स्कूल में योगदान कराया। इसके बाद कई साल से लंबित 99 बैच के स्नातक शिक्षकों को एचएम पद पर प्रोन्नति मामले की फाइल विभाग में धूल फांक रही है।

      चार माह का कार्यकालः विभाग के निदेशक (प्रशासन) सुबोध चौधरी के आदेश पर 10 अक्टूबर 2023 को सहरसा के डीपीओ जियाउल होदा खां को नालंदा जिले के डीईओ का प्रभार सौंपा गया था। पत्र में लिखा गया था कि नियमित पदस्थापन या अन्य वैकल्पिक व्यवस्था होने के बाद यह आदेश स्वत: समाप्त हो जाएगा।

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