बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ सदर अस्पताल अपने सनसनीखेज कारनामों के लिए हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। कभी आशाकर्मी के द्वारा प्रसव के बाद बच्चे को निजी क्लिनिक मे ले जाने का तो कभी गर्भवती महिला के परिजनों से खून के नाम पर अवैध वसूली का तो कभी प्रसव कराने आई एक महिला को एचआईवी ब्लाड चढ़ने का। यहां ऐसे सभी मामले की जांच ठंढे बस्ते में चला जाता है। कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है।
आज रविवार की सुबह एक विडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें बिहारशरीफ सदर अस्पताल के प्रसव वार्ड में एक गर्भवती महिला के परिजनों से स्वास्थ्य कार्मी द्वारा खुलेआम रुपए की माँग मिठाई के नाम पर करता दिख रहा है।
ताजा वायरल इस वीडियो में नर्स के द्वारा पीड़ित मरीज के परिजनों से ये कहा जा रहा है कि सरकारी अस्पताल है तो क्या हुआ पैसा तो लगेगा। घूस न सही, मिठाई के नाम पर तो देना ही होगा।
वहीं बिहारशरीफ सदर अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि जिस नर्स के द्वारा अवैध राशि की माँग की जा रही है, उसमे एक जीएनएम अंजु कुमारी और दूसरी जीएनएम चंचला कुमारी है, जो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक अशोक कुमार के काफी करीबी होने के कारण अस्पताल में अपना धौंस जामाए रहती है।
कुछ दिन पहले ही सदर अस्पताल के उपाधीक्षक अशोक कुमार के द्वारा जीएनएम अंजु कुमारी और चंचला कुमारी को प्रसव वार्ड में ड्युटी पर लगाया गया है। जिसका फायदा दोनो जीएनएम उठाती है और खुलेआम रुपए की माँग करती है। क्योंकि सभी को पता है कि सदर अस्पताल में सिर्फ जाँच के नाम पर स्पष्टीकरण निकल मामले को को ठंडे बस्ते मे फेंक दिया जाता है।
कुछ माह पहले ही सदर अस्पताल के एसएनसीयु वार्ड से एक नवजात को कुछ आशाकर्मी के द्वारा निजी क्लिनिक में ले जाया गया था, जहा नवजात की मौत हो गई थी। उसकी जाँच डीडीसी के द्वारा किया गया था। जिसपर जिलाधिकारी ने सख्त कार्यवाई करते हुये 11 आशाकर्मी को चयनमुक्त करने एवं तीन आशाकर्मी पर एफआईआर करने का आदेश दिया था।
उस आदेश के आलोक में भी सदर अस्पताल के उपाधीक्षक अशोक कुमार ने तीन आशाकर्मी पर एफआईआर दर्ज तो करवा दिया, मगर 7 आशाकर्मी को चयनमुक्त होने से बचा लिया।
जबकि अस्पताल के लेवर वार्ड में अवैध वसूली के सूचना पर लेवर रुम से जीएनएम रेणुका कुमारी को हटाकर इमरजेंसी वार्ड में ड्युटी पर लगाया था, मगर अस्पताल उपाधीक्षक अशोक कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुये और जिलाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुये जीएनएम रेणुका कुमारी को पुनः लेवर वार्ड में ड्युटी पर तैनात कर दिया।
सूत्र यह भी बताते हैं कि बिहारशरीफ सदर अस्पताल में आजकल उपाधीक्षक मनमाना कार्य से सुर्खियों में रहना पसंद करते हैं। लेवर रुम के साथ साथ अस्पताल के कई ऐसे वार्ड है, जहाँ खुलेआम जीएनएम नर्स या स्वास्थ्य कार्मी के द्वारा अवैध वसूली किया जाता है। ऑपरेशन कक्ष ओटी वार्ड में गर्भवती महिलाओं के परिजनों से ऑपरेशन के नाम पर खुलेआम एक हजार से पाँच हजार रुपए तक की वसूली होती है।
सूत्रों के अनुसार SNCU वार्ड में और ईटेट वार्ड में नवजात के परिजनों से 100 से 500 रुपए तक की वसूली होती है। जिसका आधा चढ़ावा अस्पताल के उपाधीक्षक तक भी पहुंचता है और कुछ स्वास्थ्यकर्मियों और जीएनएम एक ही वार्ड में चार से पाँच सालो से जमी बैठी है।
सूत्र बताते हैं कि अगर सदर अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे की जाँच ठीक तरह से हो तो बहुत से स्वास्थ्य कर्मियों पर गाज गिर सकता है। सिविल सर्जन कार्यालय मे 20 साल से एक ही पद पर कार्यरत लिपीक के पद पर अमरेश कुमार के द्वारा जिलाधिकारी या फिर उच्चधिकारियों के यहां से आने वाले जाँच को दबाने एवं मोटी रकम लेकर गलत जबाव बनाकर भेजने का काम किया जाता है।
वहीं अस्पताल के कुछ कर्मचारियों और छात्र नर्सों ने नाम न छपाने के शर्त पर बताया कि अगर जीएनएम या स्वास्थ्य अवैध राशि नही कमायेगें तो उच्चधिकारियों को कैसे चढ़वा चढ़ाएंगे। क्यो की सिविल सर्जन कार्यालय हो या मनपसंद वार्ड में आराम और कमाई वाला ड्यूटी करना हो उसके लिए भी चढ़ावा चढाना पड़ता है। कुछ जीएनएम तो इसलिए अस्पताल उपाधीक्षक और प्रबंधक को चढ़ावा चढाती है कि उनको आराम वाला ड्युटी मिले।
अस्पताल सूत्र बताते हैं कि अस्पताल में बहुत से ऐसे वार्ड है, जहाँ जीएनएम डियुटी पर आते ही पैर पसार कर मोबाइल मे बात करने में बीजी हो जाती है और ड्युटी टाईम खत्म होते ही अपना बैग उठाकर चल पड़ती है। जैसे मलेरिया वार्ड, आँख कान वार्ड, दाँत वार्ड, इटेट वार्ड।
वही अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि अस्पताल उपाधीक्षक पैरवी बाले आदमी है। मुख्यमंत्री के द्वारा शराबबंदी के बाद भी शराब पीते रामचन्द्रपुर मे अंजता सिनेमा के पास से वर्ष 2017 में अपने चार दोस्तों के साथ शराब पीते लहेरी थाना की पुलिस के हाथों गिरफ्तार होकर जेल की हवा खा चुके हैं। डाक्टर अशोक कुमार चार दिनों तक जेल मे रहे। फिर भी उन्हें अस्पताल का उपाधीक्षक बना दिया गया।