बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। मध्याह्न भोजन योजना (MDM) निदेशालय ने अन्न की बर्बादी को रोकने के लिए कड़ा रुख अख्तियार किया है। अब सभी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में बच्चों का मध्याह्न भोजन उतना ही बनाना होगा, जितने बच्चों की स्कूल में उपस्थिति होगी। यदि उपस्थित बच्चों की संख्या से अधिक मध्याह्न भोजन बनता है तो विद्यालय के प्रधानाध्यापक (HM) पर कार्रवाई की जाएगी।
MDM निदेशालय से मिले निर्देश के बाद जिला शिक्षा कार्यालय स्तर पर प्रत्येक स्कूल में बन रहे मध्याह्न भोजन की जांच शुरू कर दी गई है। निर्देश में कहा गया है कि स्कूलों द्वारा प्रतिदिन मध्याह्न भोजन को लेकर रिपोर्ट दी जाती है। अब इस रिपोर्ट पर स्कूल के सभी शिक्षकों को हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा। यदि शिक्षक हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो उन्हें स्कूल से अनुपस्थित माना जाएगा।
नयी नियमावली के अनुसार प्रतिदिन मध्याह्न भोजन की रिपोर्ट रिपोर्ट में कितने बच्चे उपस्थित हुए?, कितने बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बना?, कितने बच्चों ने भोजन किया?, भोजन में क्या-क्या परोसा गया? एवं भोजन देने का समय क्या था? आदि जैसे अनिवार्य बिंदु शामिल किए गए हैं।
वहीं जिला शिक्षा कार्यालय स्तर पर स्कूलों में बन रहे मध्याह्न भोजन की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। टीम को अपने क्षेत्र के स्कूलों की रिपोर्ट प्रतिदिन देने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि प्रधानाध्यापक द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट की जांच निरीक्षण कार्य में लगे कर्मी या पदाधिकारी करेंगे।
यदि रिपोर्ट में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस नियम के लागू होने से अन्न की बर्बादी पर अंकुश लगेगा और बच्चों को पौष्टिक एवं गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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