“भागन बिगहा टोल प्लाजा (पैठना), जो राष्ट्रीय राजमार्ग-20 का हिस्सा है, विकास का प्रतीक होने के बजाय नालंदा वासियों के लिए मुसीबत बन गया है। टोल टैक्स के नियमों की अनदेखी, स्थानीय लोगों को रियायत न देना और बढ़ते किराये ने इस मुद्दे को गंभीर बना दिया है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31, जो अब NH-20 के रूप में जाना जाता है, बख्तियारपुर से रांची को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है। इस सड़क के बनने से लोगों को रांची तक की यात्रा में काफी सहूलियत हुई है। कुछ ही महीनों पहले तैयार हुए इस राजमार्ग ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत किया है। लेकिन नालंदा जिले के लोगों के लिए यह राहत कम और मुसीबत ज्यादा बनकर सामने आया है। इसका कारण है भागन बिगहा टोल प्लाजा (पैठना), जो इस मार्ग पर स्थापित किया गया है। यह टोल प्लाजा नालंदा वासियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। जिसके खिलाफ स्थानीय स्तर से लेकर संसद तक विरोध की आवाजें उठ रही हैं।
अब पैठना टोल प्लाजा पर टोल टैक्स की वसूली शुरू होने के साथ ही इसका विरोध भी तेज हो गया है। नालंदा के लोग इस मार्ग से जिले के 20 किलोमीटर के दायरे में यात्रा करने पर भी 225 रुपये टोल टैक्स के रूप में दे रहे हैं। टोल प्रबंधन का साफ कहना है कि हर गुजरने वाले वाहन को निर्धारित राशि चुकानी ही होगी, चाहे वह स्थानीय हो या बाहरी। इस सख्त रवैये के चलते नालंदा के किसानों, स्कूली वाहनों और आम नागरिकों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। खासकर सब्जी उत्पादन में अग्रणी नालंदा के किसानों को अपनी उपज बिहारशरीफ बाजार तक पहुंचाने के लिए भी टोल टैक्स देना पड़ रहा है। जिससे उनकी लागत बढ़ गई है। इसी तरह, स्कूली वाहनों को भी टोल टैक्स से छूट नहीं मिल रही है। जिससे बच्चों के अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
पटना यात्रा हुई महंगीः नालंदा से पटना की यात्रा अब पहले से कहीं ज्यादा महंगी हो गई है। इस सफर में दो टोल प्लाजा-भागन बिगहा और दीदारगंज (पटना) से गुजरना पड़ता है। एक तरफ की यात्रा में पैठना पर 205 रुपये और दीदारगंज पर 135 रुपये टोल टैक्स देना पड़ता है। वापसी में फिर से दीदारगंज पर 135 रुपये और भागन बिगहा पर 105 रुपये चुकाने पड़ते हैं। इस तरह कुल मिलाकर एक दिन की पटना यात्रा में नालंदा वासियों को भागन बिगहा टोल पर ही 310 रुपये और दोनों टोल प्लाजा मिलाकर करीब 480 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं। यह बढ़ा हुआ खर्च आम लोगों, खासकर भाड़े पर चलने वाले वाहनों के लिए भारी पड़ रहा है। पहले जहां पटना के लिए कार किराए पर 1400 रुपये में मिल जाती थी, अब टोल टैक्स के चलते किराये में 40 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है।
नियमों की अनदेखी से स्थानीय लोगों में आक्रोशः राजमार्ग टैक्स कलेक्शन कानून-2024 के अनुसार टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले स्थानीय नागरिकों को टोल टैक्स से छूट का प्रावधान है। इस नियम के तहत बिहारशरीफ, सोहसराय, दीपनगर, हरनौत और वेना जैसे क्षेत्रों के लोगों को अपने निजी वाहनों के लिए टोल टैक्स नहीं देना चाहिए। लेकिन पैठना टोल प्रबंधन इस नियम का पालन नहीं कर रहा है और हर वाहन से टैक्स वसूल रहा है। टोल प्रबंधन के पास इस बारे में कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। जिससे लोगों में नाराजगी और बढ़ गई है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे विकास के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का शत-प्रतिशत पालन होना चाहिए।
संसद तक पहुंचा मुद्दाः इस टोल प्लाजा के खिलाफ हंगामा अब संसद तक पहुंच चुका है। नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने लोकसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और पैठना टोल प्लाजा को तत्काल बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह टोल टैक्स नालंदा के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। सांसद ने यह भी बताया कि नियमानुसार स्थानीय लोगों को रियायत मिलनी चाहिए, लेकिन टोल प्रबंधन इसकी अनदेखी कर रहा है।
किसानों और वाहन चालकों पर असरः नालंदा एक कृषि प्रधान जिला है और सब्जी उत्पादन में अग्रणी है। भागन बिगहा टोल प्लाजा से रोजाना सैकड़ों किसान अपनी सब्जियों की खेप बिहारशरीफ बाजार तक लाते हैं, लेकिन उन्हें भी टोल टैक्स देना पड़ रहा है। इससे उनकी आय पर सीधा असर पड़ रहा है। दूसरी ओर भाड़े पर चलने वाले वाहनों का किराया बढ़ने से आम लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। वाहन मालिकों का कहना है कि दो-दो टोल प्लाजा पर टैक्स देने के कारण किराया बढ़ाना उनकी मजबूरी है।
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