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अब राजगीर खेल अकादमी मोड़ तक बनेगी ग्रीनफील्ड फोरलेन सड़क

राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राष्ट्रीय राजमार्ग-82 के तहत हसनपुर गांव (किलोमीटर 77) से राजगीर खेल अकादमी मोड़ तक राजगीर बाइपास सड़क को मौजूदा दो लेन से फोरलेन में तब्दील करने का निर्णय लिया गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत 139 करोड़ 14 लाख 70 हजार रुपये है।

इसके साथ ही शेखपुरा के सरमेरा से लखीसराय जिला सीमा पर स्थित पचना (भदौस) तक 21.5 किलोमीटर लंबा एक नया ग्रीनफील्ड बाइपास भी बनाया जाएगा, जिसकी लागत 481 करोड़ 83 लाख 58 हजार रुपये निर्धारित की गई है। इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने से नालंदा, राजगीर और लखीसराय के बीच कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

राजगीर बाइपास के फोरलेन में बदलने से राजगीर अंतर्राष्ट्रीय खेल अकादमी तक आवागमन पहले से कहीं अधिक सुगम और तेज हो जाएगा। वर्तमान में दो लेन वाली इस सड़क पर अक्सर यातायात का दबाव रहता है, खासकर पर्यटन सीजन और खेल आयोजनों के दौरान। फोरलेन सड़क बनने से न केवल यात्रा समय में कमी आएगी, बल्कि सड़क की चौड़ाई बढ़ने से वाहनों की आवाजाही भी सुरक्षित और सुचारू होगी।

राजगीर, जो पहले से ही एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है, अब अंतरराष्ट्रीय खेल केंद्र के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। राजगीर खेल अकादमी में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन हो चुके हैं। इस फोरलेन सड़क के बनने से देश-विदेश के खिलाड़ी, प्रशिक्षक और पर्यटक आसानी से राजगीर पहुंच सकेंगे। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परियोजना न केवल आवागमन को बेहतर बनाएगी, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाएगी।

दूसरी ओर सरमेरा से पचना (भदौस) तक प्रस्तावित 21.5 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड बाइपास नालंदा और लखीसराय के बीच एक नया और तेज मार्ग उपलब्ध कराएगा। इस बाइपास के निर्माण से दोनों जिलों के बीच की दूरी और यात्रा समय में उल्लेखनीय कमी आएगी। वर्तमान में इस रूट पर जाम की समस्या आम है, खासकर बाजार क्षेत्रों और घनी आबादी वाले इलाकों में। नया बाइपास बनने से यात्री बिना किसी रुकावट के तेजी से अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

इस परियोजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू है इसका आर्थिक प्रभाव। ग्रीनफील्ड बाइपास के बनने से क्षेत्र में औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। नालंदा और लखीसराय के बीच माल ढुलाई और वस्तुओं की आवाजाही आसान हो जाएगी। जिससे स्थानीय उद्यमियों और किसानों को भी लाभ होगा। इसके अलावा बाइपास के आसपास के क्षेत्रों में नई व्यावसायिक इकाइयों और बाजारों के विकसित होने की संभावना है, जो रोजगार सृजन में मदद करेगा।

हालांकि इन परियोजनाओं की समयसीमा और निर्माण कार्य की शुरुआत को लेकर अभी आधिकारिक जानकारी का इंतजार है। सड़क निर्माण से पहले भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय मंजूरी जैसी प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा, जो समय ले सकता है।

 

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