नालंदा दर्पण डेस्क। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर अवस्थित गृद्धकूट पर्वत भगवान बुद्ध के प्रिय स्थलों में एक है। यहां पर ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने शांति का संदेश व उपदेश दिया था।
यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र स्थलों में से एक है। राजगीर आने वाले बौद्धिस्ट हर हाल में गृद्धकूट पर्वत तक जाते हैं।
कहा जाता है कि नालंदा के ‘गृद्धकूट पर्वत’ बौद्धों के लिए महाबोधि मंदिर, बोधगया के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। जहाँ पर बैठ कर महात्मा बुद्ध ने 3 महीने तक ध्यान लगाया था और अपने अनुयायियों को ज्ञान दिया था।
राजगीर के गृद्धकूट पर्वत से बरसात के दिनों में राजगीर का दृश्य बहुत ही मनोरम दीखता है। दुनिया भर के बौद्ध धर्म के अनुयायी इस शांत जगह पर ध्यान लगाने आते हैं।
यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र स्थलों में से एक है। राजगीर आने वाले बौद्धिस्ट हर हाल में गृद्धकूट पर्वत तक जाते हैं।
भगवान बुद्ध ज्ञान पाने के पहले भी राजगीर आये थे और ज्ञान पाने के बाद कई बार राजगीर आये और यहां पर वर्षावास किया था।
कहा जाता है कि वे गया से ज्ञान पाने के बाद जिस पथ से राजगीर आये थे उसे बुद्ध पथ कहा जाता है।
यह रास्ता जेठियन से होते हुए जंगल के बीच से जरासंध अखाड़ा, सोन भंडार होते राजगीर तक आया था।
हालांकि इन दिनों जब से वन विभाग ने नेचर सफारी का निर्माण कराया, बुद्ध पथ पर दरवाजा बना दिया गया। इस कारण अब यह रास्ता आम लोगों के लिए बंद कर दी गयी है।
इससे पहले कई गांवों के लोगों का जाने का रास्ता भी होता था और कम दूरी होते हुए लोग तपोवन तक भी जाते थे।
इस पवित्र स्थल पर कोई प्रतिमा व मूर्ति नहीं है। यह एक पिंडी है। इसके बाद भी पर्यटक सीजन में यहां पर पर्यटकों को ठगी करने वाले गिरोह भगवान बुद्ध की प्रतिमा रखकर और फूल माला से सजाकर लाखों की ठगी करते हैं।
ये ठग पर्यटकों की धार्मिक भावना से खेलते हैं। शब्दों के जाल में फंसाकर विदेशी पर्यटकों को डॉलर चढ़ाने के लिए विवश करते हैं।
खबरों के मुताबिक यहां पर पर्यटक सीजन में पांच से छह लाख का चढ़ावा चढ़ता है।
इसमें ठग से लेकर पर्यटक गाइड, पुलिस कर्मी सहित अन्य का हिस्सा होता है।
हालांकि प्रशासन की ओर से भी कई बार इनके पर कार्रवाई की गयी है। इसके बाद भी इनकी पकड़ और पहुंच इतनी है कि वे राजगीर के पुलिस-प्रशासन पर हावी रहते हैं। इनके इशारे पर ही यहां के अधिकारी नाचते हैं।
सरकार इस पर्वत पर सीसीटीवी कैमरा लगा दे तो यहां पर ठगी का धंधा बंद हो जाये। इससे बौद्धिस्ट पर्यटकों के बीच हमारे देश का गलत संदेश नहीं जाये। वे यहां से एक अच्छा संदेश लेकर जाएं। इससे यहां पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी।
गृद्धकूट पर्वत पर दिसम्बर 2009 में जब ठगों ने एक जापानी पर्यटक को शिकार बनाया था।
तब पर्यटक की शिकायत पर तत्कालीन डीएसपी अशोक कुमार प्रसाद ने उस समय माला बेचने वाले ठग के साथ पुरातत्व में काम करने वाले कर्मी को भी पकड़कर जेल भेजा था।
उन्होंने पुरातत्व कर्मी की भी संलिप्ता होने की आशंका जतायी थी। उस समय यह मामला काफी तूल पकड़ा था। धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष आचार्य कुणाल किशोर ने इन ठगों को सजा देने की बात कही थी।
वहीं 22 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन एसडीओ संजय कुमार के निर्देश पर भी ठगों के खिलाफ छापेमारी की गयी थी।
इसमें तीन ठगों को गिरफ्तार किया गया। दो माला बेचने वाले थे और एक अपने को पुरातत्व विभाग का कर्मी बताने वाला व्यक्ति था।
लोगों ने कहा कि पकड़ा गया युवक न तो पुरातत्व का कर्मी और न मजदूर। इसके बाद भी वह बाजार में लोगों पर हमेशा पुरातत्व का कर्मी होने का धौंस जताता फिरता है। लोगों ने सरकार से इसकी जांच की मांग की।
ठगी में पकड़े गये लोगों की अगर संपत्ति जांच की जाय तो सारा भेद खुल सकता है। ये लोग कोई काम धंधा नहीं करते और न कोई नौकरी है। इसके बाद भी इनके पास अकूत दौलत है। यह कहां से आया। इसकी जांच होनी चाहिए।
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