राजगीर (नालंदा दर्पण)। पर्यटक नगरी राजगीर में अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिलती है। यहां बुनियादी सुविधाओं का विकास होने के बजाय दूरदर्शिता के अभाव में पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राजगीर के पाँच पहाड़ियों में विपुलाचल पर्वत पर जाने के लिए कुछ वर्षों पूर्व तक सूर्यकुंड के पूरब की ओर मुख्य गेट हुआ करता था, लेकिन सुरक्षा कारणों से तत्कालीन पदाधिकारियों और प्रशासनिक निर्देश पर इस मुख्य गेट को ही स्थायी रूप से बंद कराकर बाउंड्रीवाल का निर्माण करा दिया गया।
इस कारण पर्यटक एवं स्थानीय लोगो को सूर्यकुंड के बगल से बाउंड्री फाँदकर ही इस पर्वत शिखर पर चढ़ना पड़ता है। सूर्यकुंड के बगल में जैन धर्म के अनुयायियों को पहाड़ पर जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग है। जिसके गेट पर अक्सर ताला लटका रहता है और यह सिर्फ जैन समुदाय के लिए ही खोला जाता है और पूरे दिन बंद रहता है।
कुछ वर्ष पूर्व सूर्यकुंड के सौंदर्यीकरण के समय ही मुख्य लोहे के गेट को हटाकर स्थायी दीवार का निर्माण करा दिया गया। जिसका स्थानीय स्तर पर काफी विरोध हुआ था।
क्योंकि सूर्यकुंड के पूरब पहाड़ शुरू होने से पहले हिन्दू धर्म के तहत दशकर्म संस्कार होता है और यही पर श्राद्धकर्म के उपरांत पीपल वृक्ष में जल अर्पित किया जाता है।
राजगीर के स्थानीय लोगों सहित पहाड़ी वादियों का आनंद लेने के इच्छुक पर्यटकों को बाउंड्री फाँदने में काफी परेशानी होती है, खासकर महिलाओं और वृद्धजनों को।
राजगीर टाउन डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष श्याम किशोर भारती ने इस विषय को बिहार सरकार के विभिन्न विभागों से अवगत कराया है और पूर्व की तरह स्थायी रास्ता बनाने के साथ इस क्षेत्र को विशेष सौंदर्यीकरण कराने की माँग की है।
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