बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। उर्दू भाषा दिल की भाषा व तहजीब की भाषा है, जो सीधे दिल तक पहुंचती है। आईएएस एकेडमी में प्रशिक्षण के दौरान अतिरिक्त भाषा के रूप में मैंने उर्दू भाषा का चयन किया था।
उक्त बातें डीएम शशांक शुभंकर ने उर्दू निदेशालय, पटना के तत्वावधान में जिला उर्दू भाषा कोषांग की ओर से टाउन हाल में आयोजित जिलास्तरीय उर्दू कार्यशाला तथा फ़रोग़-ए- उर्दू सेमिनार व मुशायरा के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि आज इस सेमिनार के जरिए सभी एकत्रित लोग इस बात पर विचार कर मंथन करें कि उर्दू का अधिकाधिक कैसे विकास हो। सांस्कृतिक जरूरत के हिसाब से भाषा के बदलने की बात उन्होंने की।
उन्होंने उर्दू को व्यवहारिक भाषा में भी इस्तेमाल करने की बात कही।
एडीएम नौशाद आलम ने कहा कि संस्कृति, भाषा, तहजीब के साथ-साथ हिन्दुस्तान को आगे बढ़ाने के लिए हिन्दी और उर्दू दोनों को प्रश्रय देना होगा। उर्दू भारत की आंगन में पलकर बड़ी हुई है। यह किसी मजहब का नहीं बल्कि हिंदुस्तान की जुबान है। गानों में उर्दू के शब्द न हों तो वह लय और ताल नहीं मिलता।
डीडीसी वैभव श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी-उर्दू के विकास के बिना हिन्दुस्तान का विकास संभव नहीं। आज आलम यह है कि न हम हिन्दी पढ़ते हैं और न ही उर्दू।
बेनाम गिलानी ने कहा कि सरकारी पहल के बावजूद हम खुद उर्दू को बढ़ावा देने में काफी पीछे रह जा रहे हैं।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया उर्दू के प्रचार-प्रसार व उर्दू को बढ़ावा देने के लिए कम से कम उर्दू अखबार खुद पढ़े और बच्चों को पढ़ाएं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि उर्दू को बढ़ावा देने के लिए कम से कम उर्दू भाषी लोग उर्दू में ही आवेदन कार्यालयों में दें। ताकि उर्दू अनुदवादकों को भी लाभ मिल सके।
मौके पर मो.आफताब शम्स, अरशद अस्थानवी, जिला उर्दू कोषांग प्रभारी मृदुला कुमारी, वरीय उपसमाहर्ता किशन कुमार, अनुमंडलीय लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी बिहारशरीफ मुकुल मणि पंकज , अनुमंडलीय लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी राजगीर अमित अनुराग के अलावे कई उर्दू प्रेमी लोग मौजूद थे।