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400 से अधिक नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर संकट, फर्जी प्रमाण पत्र बनीं चुनौती

नालंदा (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़ा विवाद एक बार फिर उभर कर सामने आया है। अब बड़ी संख्या में शिक्षकों के प्रमाण पत्रों में पाई गई गड़बड़ियों और सत्यापन की खामियों के चलते 400 से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।

प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी और सत्यापन की समस्याः नालंदा जिले के 4,902 अभ्यर्थियों को काउंसलिंग में शामिल होना था, लेकिन इनमें से 371 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। काउंसलिंग के दौरान कई शिक्षकों के बायोमेट्रिक सत्यापन, आधार कार्ड और मोबाइल ओटीपी जैसे अनिवार्य प्रक्रियाओं में बाधाएं देखी गईं।

इसके अलावा 196 अभ्यर्थी ऐसे भी रहे, जो काउंसलिंग के समय अपने प्रमाण पत्रों की मूल कॉपी प्रस्तुत नहीं कर सके। पूरे राज्य में यह संख्या 9,996 तक पहुंच गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि समस्या केवल नालंदा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बिहार में इसका व्यापक असर है।

फर्जी प्रमाण पत्र और संदेह के घेरे में शिक्षकः काउंसलिंग के दौरान कई शिक्षकों के प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में आ गए हैं। नालंदा जिले में तीन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों को प्रथम दृष्टया फर्जी माना गया है। जबकि राज्य स्तर पर यह संख्या 196 है। इसके अलावा 255 शिक्षकों के प्रमाण पत्र संदेहास्पद पाए गए हैं और राज्य भर में ऐसे शिक्षकों की संख्या 23,801 है।

प्रमाण पत्रों में पाई गई त्रुटियों में नाम, जन्म तिथि और आधार संख्या जैसी जानकारी गलत होने के मामले सामने आए हैं। नालंदा में 454 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों में एक या दो प्रकार की त्रुटियां पाई गईं हैं। जबकि पूरे बिहार में यह संख्या 33,893 है।

शिक्षकों को मिलेगा एक और मौकाः शिक्षा विभाग की 15 अक्तूबर को हुई बैठक में शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया कि ऐसे सभी शिक्षकों को एक और अवसर दिया जाएगा। जिन शिक्षकों के आधार सत्यापन या बायोमेट्रिक सत्यापन में समस्या आई है, उन्हें अपनी जानकारी अपडेट करने का अवसर मिलेगा। साथ ही जिन शिक्षकों ने काउंसलिंग के दौरान अपने मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए हैं, उन्हें प्रमाण पत्र अपलोड करने का एक और मौका दिया जाएगा।

संदेह के घेरे में बड़ी संख्या में शिक्षकः पूरे राज्य में बड़ी संख्या में शिक्षक संदेह के घेरे में हैं, और नालंदा जिले के 300 से अधिक शिक्षक भी इसी संकट से गुजर रहे हैं। इन शिक्षकों की नौकरी पर अब भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। क्योंकि प्रमाण पत्रों की गहन जांच की प्रक्रिया अभी जारी है।

नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति और सत्यापन में हो रही गड़बड़ियों ने राज्य के शिक्षा प्रणाली की गंभीर चुनौतियों को उजागर किया है। नालंदा जिले में शिक्षकों की नौकरी पर संकट और प्रमाण पत्रों की जांच में आ रही समस्याएं न केवल नालंदा जिले में, बल्कि राज्य भर के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में उभर रही हैं।

अब देखना यह होगा कि सरकार और शिक्षा विभाग इन समस्याओं का समाधान कैसे निकालते हैं, ताकि योग्य और सत्यापित शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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