बिहारशरीफ/ डॉ. अरुण कुमार मयंक। नालन्दा के 37वें डीएम रहे योगेंद्र सिंह की सादगी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। वे बिना किसी ताम-झाम के जिला को अलविदा कह गए।
उन्होंने फेयरवेल पार्टी को शालीनता से मना किया तथा बाडीगार्ड को नए डीएम के साथ रहने की बात कही। हाथों में ट्राली बैग लिए एक आम पब्लिक की तरह लाइन में लगकर उन्होंने ट्रेन का टिकट लिया और श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बैठकर पटना की ओर रवाना हो गए।
जानकारी के अनुसार श्री सिंह ने बिहारशरीफ के नगर आयुक्त तरणजोत सिंह को अपना प्रभार दिया तथा सिम डीडीसी वैभव श्रीवास्तव को दिया और अपने नये पदस्थापना वाले जिला समस्तीपुर के लिए निकल पड़े।
9 नवंबर 1972 को नालन्दा जिला गठन के बाद योगेंद्र सिंह 37वें जिलाधिकारी थे। लेकिन स्थानांतरण के बाद जिस तरह वे नालंदा से रवाना हुए, बिरला ही ऐसा किसी डीएम के कार्यकाल में देखने को नहीं मिला।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह आठ बजे डीएम योगेंद्र सिंह ने कर्मियों को अपनी गाड़ी लगाने को कहा। वह भी बगैर अंगरक्षक एक ट्रॉली लेकर अपनी गाड़ी में बैठे और सीधे बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन पहुंचे और अकेले पटना के लिए रवाना हो गये।
रेलवे स्टेशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस पकड़ने आये सैकड़ों लोग यह देखकर स्तब्ध थे कि स्थानांतरण के बाद किस सादगी के साथ योगेंद्र सिंह ने जिला को अलविदा कहा।
बता दें कि योगेंद्र सिंह 2012 बैच के आईएएस अधिकारी है। सबसे पहले पटना सिटी के एसडीओ, बेतिया के उप विकास आयुक्त और शेखपुरा के जिलाधिकारी रह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के उन्नांव जिले के हरिपुर के रहने वाले योगेंद्र सिंह की पहचान जिले में एक तेज-तर्रार व विकास के लिए हमेशा अग्रसर रहने वाले अधिकारी के रूप में रही। ज़ू सफारी को फाइनल टच देने तक में इनका अहम योगदान रहा।
वे लगभग 35 महीने तक नालंदा के डीएम के रूप में रहे। वैसे लोग जो जाते-जाते अपने काम करवाने की मंशा पाले बैठे थे, उनकी मंशा पर पानी फिर गया। आज के भौतिकवादी युग में योगेंद्र सिंह जैसे बहुत कम ही लोक सेवक होते हैं।