बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा में जल संकट से जूझ रहे किसानों ने अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाकर नई मिसाल कायम की है। इस तकनीक से न केवल पानी की बचत हो रही है, बल्कि फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि देखी जा रही है।
क्षेत्र में वर्षों से सूखे और अनियमित वर्षा के कारण किसानों के लिए सिंचाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। सरकारी योजनाओं और स्थानीय कृषि विभाग के सहयोग से कुछ किसानों ने ड्रिप सिंचाई तकनीक अपनाने का निर्णय लिया। यह तकनीक खेत में फसलों की जड़ों तक धीरे-धीरे पानी पहुंचाने में सक्षम है। इससे पानी की बर्बादी कम होती है और फसलों को नियमित रूप से पोषण मिलता है।
चंडी के एक किसान, जिन्होंने सबसे पहले इस तकनीक को अपनाया, वह कहते हैं, “पहले हमें दिन-रात पानी की चिंता रहती थी। लेकिन अब ड्रिप सिंचाई से फसलें बेहतर हो रही हैं और मेहनत भी कम हो गई है। हमने पानी की मात्रा में लगभग 50% की बचत की है।”
ड्रिप सिंचाई का एक और फायदा यह है कि इससे खेतों में जलभराव और मिट्टी के कटाव की समस्या भी खत्म हो रही है। इसके अलावा इस तकनीक से किसान कई प्रकार की फसलें, जैसे कि सब्जियां, फलों के पेड़ और दलहन आसानी से उगा पा रहे हैं, जो पहले अधिक पानी की मांग करते थे।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया जाए, तो बिहारशरीफ और आस-पास के क्षेत्रों में जल संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इस पहल को देखते हुए राज्य सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी भी दे रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस तकनीक का लाभ उठा सकें और नालंदा जिले को एक आदर्श कृषि क्षेत्र में तब्दील किया जा सके।
नालंदा के किसानों की इस पहल से यह साबित होता है कि सही तकनीक और जागरूकता के साथ जल संकट जैसी गंभीर समस्या को सुलझाया जा सकता है। अब समय है कि अन्य क्षेत्रों के किसान भी इस तकनीक को अपनाएं और अपनी खेती को टिकाऊ और उत्पादक बनाएं।
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