नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिले में कुल 27 प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत विद्यालय है। इनमें से कई विद्यालयों के द्वारा बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के द्वारा निर्धारित नियमों का पालन किए बिना शिक्षकों तथा शिक्षकेत्तरकर्मियों की नियुक्ति की गयी है।
विद्यालय के द्वारा नियुक्ति के पूर्व विज्ञापन का प्रकाशन किया जाना चाहिए। जिसमें विज्ञापन के प्रारूप पर बोर्ड के सचिव से पूर्व अनुमोदन लेना आवश्यक है। इसी प्रकार विज्ञापन के प्रारूप पर पद का नाम, रोस्टर के अनुरूप रिक्तियां, अपेक्षित अहर्ताएं, उपलब्धियां आदि अंकित रहना आवश्यक है।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि संस्कृत विद्यालयों को नियुक्ति के पूर्व ही संस्कृत शिक्षा बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। जबकि जिले के कई संस्कृत विद्यालयों ने पहले संस्कृत शिक्षकों तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों की नियुक्ति की है तथा अनुमोदन नियुक्ति के बाद लिया गया है, जो संस्कृत शिक्षा बोर्ड के नियमों के विरुद्ध है।
इसके बावजूद नियुक्त किए गए शिक्षकों तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों को विभाग द्वारा वेतन भुगतान तथा अन्य सुविधायें प्रदान कर दी गई। जांच किये जाने पर गलत नियुक्ति के कई मामले सामने आ सकते हैं।
पुराने विद्यालय प्रबंध समिति ने की कई नियुक्तियां: बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के द्वारा वर्ष 2014 में ही विद्यालयों के पुराने प्रबंध समितियां को निरस्त कर नए विद्यालय प्रबंध समितियों के गठन का निर्देश दिया गया था।
लेकिन प्रस्वीकृति प्राप्त विभिन्न संस्कृत विद्यालयों के द्वारा नए विद्यालय प्रबंध समिति के गठन करने के बजाय पुराने प्रबंध समिति के आधार पर ही लगभग 30 शिक्षकों तथा शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति कर ली गई है।
इस नियुक्ति में विज्ञापन प्रकाशित करने तथा आरक्षण रोस्टर का पालन करने आदि सहित वर्ष 2015 के संस्कृत शिक्षा बोर्ड के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। इन विद्यालयों में जांच किए जाने पर मामले को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं।
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