बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोगों को इस बीमारी के संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए टीबी उन्मूलन अभियान में ऐसे लोगों की सुरक्षा के लिए विशेष जांच और निरोधात्मक उपायों को शामिल किया गया है। स्क्रीनिंग प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए राज्य यक्ष्मा प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण केंद्र की निदेशक डॉ. माला श्रीवास्तव ने नई जांच पद्धति की शुरुआत की है।
टीबी विभिन्न प्रकार की हो सकती है और यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। लेकिन फेफड़ों की टीबी सबसे अधिक संक्रामक होती है। जिससे आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए फेफड़ा टीबी से ग्रसित मरीजों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग अनिवार्य की गई है।
स्क्रीनिंग के दौरान सबसे पहले मरीज की चिकित्सकीय हिस्ट्री ली जाएगी। यदि किसी में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं, तो बलगम की जांच टुनेट या सीबी नेट विधि से की जाएगी। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो संबंधित मरीज को टीबी की दवा दी जाएगी।
कुछ मामलों में लक्षण तो मौजूद होते हैं। लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है। ऐसे लोगों के लिए अब सीवाई टीबी इंजेक्शन द्वारा जांच की जाएगी। इस प्रक्रिया में यदि इंजेक्शन लगाए गए स्थान पर धब्बा या सूजन बनती है तो यह टीबी संक्रमण का संकेत माना जाएगा। ऐसे मामलों में टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जाएगी। जिससे संक्रमण को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
हालांकि यह नई जांच पद्धति केवल 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों पर लागू होगी। यदि लक्षण स्पष्ट नहीं हैं तो एक्स-रे जांच भी की जाएगी।
टीबी उन्मूलन और इस नई पद्धति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए बिहारशरीफ सदर अस्पताल सभागार में एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें एमओआईसी, सीएचओ, एलटी, एएनएम, एसटीएस और एसटीएलएस को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान दो व्यक्तियों पर इंजेक्शन का डेमो भी किया गया।
एचआईवी संक्रमित लोगों में टीबी से मृत्यु दर सबसे अधिक देखी गई है। इसलिए एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों की विशेष रूप से स्क्रीनिंग की जाएगी। यदि लक्षण मौजूद हैं लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उन्हें प्रिवेंटिव थेरेपी दी जाएगी।
यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी या बुखार है तो उसे टीबी जांच करानी चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाएं, कैंसर मरीज, हेपेटाइटिस या शुगर रोग से ग्रसित लोगों को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। यदि उन्हें दो-तीन दिन तक भी खांसी या बुखार हो तो टू-नेट से बलगम जांच करानी चाहिए।
वेशक टीबी उन्मूलन की दिशा में यह नई पद्धति एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। ताकि इस बीमारी के संक्रमण को रोका जा सके और समय रहते प्रभावी इलाज सुनिश्चित किया जा सके।
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