नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने थरथरी थाना क्षेत्र के एक गाँव में किशोरी की हत्या के दोषी किशोर को अलग-अलग धाराओं में तीन-तीन साल की सजा सुनायी है। दोषी किशोर पर अपनी प्रेमिका की हत्या का आरोप है।
उसने देर रात को मिलने के बहाने प्रेमिका को बुलाकर हत्या की घटना को अंजाम दिया था और शव को पानी में फेंककर हादसा या आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी।
दोषी किशोर को धारा 302 और 201 के तहत जेजेबी एक्ट के अनुसार अधिकतम तीन-तीन साल की सजा सुनायी गयी है। जबकि लैंगिक अपराध साबित नहीं होने के कारण धारा 376 और पॉक्सो की धारा से दोषमुक्त किया गया है। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेगी।
आरोपी किशोर बीते 21 अगस्त से ही न्यायिक हिरासत में है। हिरासत में बितायी गयी अवधि को सुनायी गयी सजा में समायोजित कर दी जायेगी। मोबाइल के सीडीआर के आधार पर आरोपी की पहचान हुई।
जेजेबी में सुनवाई के दौरान इस हत्याकांड की परत दर परत खुल गई। जज ने पर्यवेक्षण गृह के अधीक्षक को सजायाफ्ता किशोर को अविलंब स्पेशल होम पटना भेजने का आदेश दिया है।
स्पेशल होम के अधीक्षक को भी आवासन अवधि में किशोर के पठन-पाठन, कौशल विकास व नियमित काउंसलिंग की व्यवस्था के निर्देश दिये गये हैं। किशोर में हो रहे रचनात्मक परिवर्तन की प्रत्येक छह माह पर जेजेबी को रिपोर्ट सौंपनी होगी।
घटना के समय किशोर की उम्र 15 वर्ष थी। विचारण के दौरान जेजेबी ने माना कि आरोपी किशोर का मृतका के साथ प्रेम प्रसंग था और किसी बात से नाराज होकर उसने
दरअसल, थरथरी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी किशोरी बीते 4 अगस्त को ही रात करीब 1 बजे घर से लापता हो गयी थी। माता-पिता ने रात में ही खोजबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला। अगले दिन करीब साढ़े 12 बजे किसी ग्रामीण ने पुलिया के समीप पइन के पानी में एक लड़की के शव रहने की जानकारी दी। शव की पहचान लापता किशोरी के रूप में हुई।
परिजनों ने किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या करके साजिश के तहत शव छुपाने के उद्देश्य से पानी में फेंकने की शिकायत की थी। बाद में किशोर को आरोपित किया गया। मृतका के फोन पर अंतिम कॉल किशोर का ही था।
प्रारंभ में यह पूरी तरह से ब्लाइंड केस था। केस के आईओ ने भी अनुसंधान में लापरवाही बरती। जेजेबी को लापरवाही की शिकायत मिली। जेजेबी द्वारा लापरवाही को लेकर एसपी को पत्र लिखा गया था। जिसपर कार्रवाई करते हुए एसपी ने आईओ को निलबिंत कर दिया।
पिता ने 164 के तहत जेजेबी में कहा कि “घटना के दिन मैं सूरत में था। पत्नी ने कॉल कर कहा कि गांव में एक लड़की पानी में डुबकर मर गयी है। जिससे अपना लड़का मोबाइल से बात करता था। दोनों में प्रेम हो गया था। दोनों साथ में ट्यूशन पढ़ता था। मुझे जानकारी होने पर दो दिन बाद का टिकट मिला तो फिर आया। मैंने अपने लड़के से मारपीट किया। उससे पूछताछ की तो मुझे बताया कि लड़की ने उसे कॉल की थी और बाहर आने के बाद बात करते पुलिया के पास चली गयी। लड़की बोली कि उसके माता-पिता उसे कल दिल्ली लेकर जा रहे हैं। जहां उसकी शादी कर दी जायेगी। इसलिए मुझे इस समय लेकर भाग जाओ। मेरा लड़का बोला कि रात के 11-12 बजे वहां जाउंगा तो लड़की ने कहा कि मैं यही मर जाउंगी लेकिन दिल्ली नहीं जाउंगी। लड़की मेरे लड़के का हाथ पकड़कर अपना गला दबाने लगी और बोली की मुझे मार दो।”
साक्ष्य परीक्षण के दौरान बचाव पक्ष की ओर से ऑनर किलिंग की भी बात कही गयी। जिसे कोर्ट ने नहीं माना। बचाव पक्ष ने कहा था कि मृतका के परिवार वाले नाराज थे और उन लोगों ने ही पारिवारिक प्रतिष्ठा के नाम पर स्वयं अपनी बच्ची की गला दबाकर हत्या कर शव को छुपाने के लिए पानी में फेंक दिया।
हालांकि बचाव पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि यदि सूचक ने खुद अपनी पुत्री को मारकर पानी में फेंक दिया था तो यह बात विधि विरूद्ध किशोर को कैसे पता चली और वह अपने परिवार के साथ घर छोड़कर क्यों भागा।
दोषी किशोर को सजा सुनाने में साक्षियों के द्वारा परिस्थितिजन्य घटनाक्रम , परिस्थितिजन्य साक्ष्य व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (मोबाइल सीडीआर) आधार बना , लेकिन सबसे पुख्ता आधार आरोपी किशोर के पिता का ही 164 के तहत जेजेबी में दिया गया बयान बना।
आरोपी किशोर और लड़की के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आयी कि किशोरी की कहीं और शादी तय हो गयी थी। किशोर इससे नाराज था। किशोर ने देर रात को कॉल कर बुलाया और बातचीत के दौरान आक्रोशित होकर गला दबाकर हत्या कर दी और शव को पानी में फेंक दिया। ताकि यह हादसा लगे।