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    Thursday, November 14, 2024
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      नालंदा-विक्रमशिला से भी प्राचीन है तेलहाड़ा विश्विद्यालय, खुदाई में मिले प्रमाण

      नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा स्थित तेल्हाड़ा म्यूजियम अपने आप में कई इतिहास छुपाए बैठा है। इसके निर्माण कार्य में 9.13 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। 26 अक्टूबर, 2021 को म्यूजियम बनाने के कार्य का शुभारंभ हुआ था, जो 25 अक्टूबर, 2022 को समाप्त हो गया। म्यूजियम को पूरी तरह से स्टेट ऑफ आर्ट के रूप में स्थापित किया गया है।

      Telhada University is older than Nalanda Vikramshila evidence found in excavation 1म्यूजियम के निर्माण में तिलाधक विश्वविद्यालय के भवनों की प्राचीनता को समावेश किया गया है। तेलहाड़ा टिलहे की खुदाई के क्रम में कई प्राचीन सामग्रियां मिली है, जिससे पता चला है कितिलाधक विश्वविद्यालय,  नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी प्राचीन है।

      मिले पाल, गुप्त और कुषाण कालीन मुद्राएं:  यहां पाल कालीन के साथ गुप्तकालीन और कुषाण कालीन मुद्राओं के अलावा कई बेशकीमती सामान मिले हैं। अब तीसरी बार की खुदाई के लिए आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी गई है। अनुमति प्राप्त होते ही तीसरे चरण की खुदाई होगी। जिसमें और भी सामग्रियां मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

      म्यूजियम के परिसर में गार्ड रूम, टॉयलेट, टिकट काउंटर गैलरी के अलावे साउंड लेस भवन का निर्माण किया गया है। यह भवन पूरी तरह से वातानुकूलित है। नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के लिए नालंदा में म्यूजियम बना है।Telhada University is older than Nalanda Vikramshila evidence found in excavation 2

      इसी तरह तिलाधक विश्वविद्यालय के लिए तेल्हाड़ा में म्यूजियम बनाया गया है। इसके बन जाने से देशी-विदेशी पर्यटकों के आने की संभावना बढ़ेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

      नालंदा और विक्रमशिला से भी प्राचीन विश्वविद्यालयः इस विश्वविद्यालय के बारे में जानकर बताते हैं कि नालंदा के तेल्हाड़ा में मिले विश्वविद्यालय के अवशेष से पता चला है कि यह नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय से भी प्राचीन है। यह महाविहार पहली शताब्दी में अस्तित्व में था, जबकि नालंदा चौथी और विक्रमशिला सातवीं शताब्दी का है।

      बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग के पुरातत्व निदेशालय को खुदाई में प्राप्त महाविहार की मुहर (मोनास्टी सील) के आधार पर विभाग ने दावा किया कि यह प्रमाणित हो गया है कि यह राज्य का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है।Telhada University is older than Nalanda Vikramshila evidence found in excavation 4

      जानें तेल्हाड़ा में मिले विश्वविद्यालय का इतिहासः कोलकाता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ। एस सान्याल ने पाली लिपि में सील पर अंकित अक्षरों को पढ़कर इसका नाम बताया है।

      इस विश्वविद्यालय का नाम तिलाधक, तेलाधक्य या तेल्हाड़ा नहीं, बल्कि श्री प्रथम शिवपुर महाविहार है। यह हमारे लिए एक नया तथ्य और नई उपलब्धि है।

      चीनी यात्री इत्सिंग ने अपने यात्र वृतांत में तेल्याधक विश्वविद्यालय का जिक्र किया है। वे कहते हैं कि यहां तीन टेम्पल थे, मोनास्‍ट्री कॉपर से सजी थी। हवा चलती थी तो यहां टंगी घंटियां बजती थीं।

      अब तक हुई एक वर्ग किमी की खुदाई में तीनों हॉल, घंटियां सैकड़ों सील-सीलिंग, कांस्य मूतियां आदि मिल चुकी हैं। ईंटें जो मिली हैं वह 42 गुना, 32 गुना, 6 से.मी. की हैं।

      पहले यहां प्राप्त बौद्ध विहारों की संरचनाओं से इसे गुप्तकालीन (4-5वीं सदी) माना जाता था, पर सील पर लिखे इतिहास ने इसे कुषाणकालीन साबित कर दिया है।

      कला संस्कृति सचिव के अनुसार नया इतिहास सामने आने के बाद अब तेल्हाड़ा स्थित इस विश्वविद्यालय पर और अध्ययन तथा शोध किए जाने की जरूरत है। बिहार सरकार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखेगी, ताकि यहां बड़े पैमाने पर शोध कराकर नए तथ्य दुनिया के सामने लाए जाएं।

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