नालंदा दर्पण डेस्क। इन दिनों समूचे नालंदा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था एक मजाक बनकर रह गई है। सरकारी अस्पताल को पदाधिकारियों ने एक कारोबार बना दिया है, वहीं निजि अस्पताल एक बड़ा काला धंधा के रुप में उभरकर सामने आया है। जिसके शिकार लोग मर रहे हैं, लूट रहे हैं और इसे देखने वाला कोई नजर नहीं आता है।
बहरहाल, नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था की एक भयानक तस्वीर सामने आई है। यहां विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर अवैध जांच केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। इनके पास न तो योग्य कर्मी हैं और न ही कारगर उपकरण। वे किसी भी बीमारी की परख में बिल्कुल नाकाबिल हैं और सिर्फ चिकित्सकों के साथ सांठगांठ कर मरीजों से वसूली कर करने में मशगूल है।
वे कहीं से भी पुराना-धुराना मशीन कबाड़खाने से खरीद लाए हैं और मरीजों की जान के साथ खिलबाड़ कर रहे हैं। उनका आर्थिक दोहन कर रहे हैं। इस अमानवीय लूट में जाने-अनजाने पूरा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा भी संलिप्त है। नतीजतन उन पर कोई जमीनी जांच कार्रवाई नहीं हो पाती है।
नालंदा दर्पण टीम के पास फिलहाल जिले में संचालित 17 फर्जी अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र की अधिकारिक सूची उपलब्ध है, जो प्रतिबंध के बाबजूद अपना काला धंधा बरकरार रखा है। यह सूची नालंदा जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक और सिविल सर्जन सह सदस्य जिला स्वास्थ्य समिति के हस्ताक्षर से जारी की गई है।
17 फर्जी अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्रों में सर्वाधिक 6 अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र सिर्फ चंडी में संचालित हैं। वहीं सूची के अनुसार राजगीर में 3, हरनौत में 2, अस्थावां में दो, बिहारशरीफ में 3 और इस्लामपुर में एक अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र संचालित हैं।
सूची के अनुसार चंडी नगर पंचायत क्षेत्र में संचालित अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र के नाम एंगल अल्ट्रासाउंड, चंडी अल्ट्रासाउंड, जनता अल्ट्रासाउंड, रुचि अल्ट्रासाउंड, गणेश अल्ट्रासाउंड एवं आदर्श अल्ट्रासाउंड नाम के जांच केन्द्र शामिल हैं।
वहीं राजगीर नगर परिषद क्षेत्र में संचालित सवेरा अल्ट्रासाउंड, पाटलिपुत्र अल्ट्रासाउंड, बुद्धा अल्ट्रासाउंड नामक जांच केन्द्र संचालित हैं।
वहीं हरनौत नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत स्टार अल्ट्रासाउंड, साई अल्ट्रासाउंड नामक तो इस्लामपुर नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत पाटलिपुत्र अल्ट्रासाउंड नामक जांच केन्द्र संचालित हैं।
वहीं अस्थावां नगर पंचायत क्षेत्र में नालंदा अल्ट्रासाउंड, अस्थावां अल्ट्रासाउंड नामक तो बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत लाइफ केयर अल्ट्रासाउंड, लाइफ लाइन स्कैनिंग अल्ट्रासाउंड और न्यू बिहार अल्ट्रासाउंड नामक अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र संचालित हैं।
आश्चर्य की बात है कि उपरोक्त सभी अवैध एवं फर्जी अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र के संचालन की जानकारी पूरे स्वास्थ्य महकमे को है। फिर भी वे मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके परिजनों को लूट रहे हैं। एक भी फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटर निबंधित नहीं हैं। कई अल्ट्रासाउंड जांच केन्द्र सील कर दिए गए, लेकिन वे खुद सील तोड़कर धंधा करते रहे। कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कई पर तो स्वास्थ्य विभाग ने जांचोपरांच प्राथमिकी तक दर्द करने के आदेश भी दे चुके हैं। फिर भी वे बेरोकटोक चल रहे हैं, क्योंकि हर जांच कार्रवाई सिर्फ कागजं पर दिखावा कर अवैध वसूली के लिए की जाती है। आम जनता को इसकी भनक तक नहीं लगती है और वे नीम-हकीम खतरे जान के शिकार होने को विवश हैं…(जारी)।
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