नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के नालंदा जिला में राजगीर हिन्दू, बौद्ध और जैन मतावलंबियों के लिए समान रूप से आस्था का एक बड़ा केंद्र है। यहाँ गर्म जलकुंड के पास ही वेणुवन महाविहार है। जो कभी राजकीय उद्यान था। वेणुवन का तात्पर्य बाँस का जंगल होता है।
कहा जाता है कि गौतम बुद्ध ‘बुद्धत्व’ की प्राप्ति के बाद पहली वर्षा ऋतु के चार महीने यहीं रुके थे। इसलिए वेणुवन को विश्व का पहला बौद्ध विहार होने का गौरव प्राप्त है।
वेणुवन परिसर में एक ‘नव वेणुवन विहार’ का निर्माण कराया गया है। इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने किया था।
वेणुवन एक कृत्रिम जंगल है, जो बिहार के नालंदा ज़िले में अधिसूचित क्षेत्र राजगीर में स्थित है। यह बाँस का जंगल कभी राजकीय उद्यान हुआ करता था।
महाराज अजातशत्रु ने ये विहार ख़ासतौर पर भगवान बुद्ध को उपहार में दिया था, ताकि श्रद्धालु उनके आसानी से दर्शन कर लाभ प्राप्त कर सकें।
संभवतः बाँस के वृक्षों की अधिकता के कारण ही इसे वेणुवन कहा जाता था। ‘बुद्धचरित’ के अनुसार “तब वेणुवन में ‘तथागत’ का आगमन सुनकर मगधराज अपने मंत्रिगणों के साथ उनसे मिलने के लिये आए।
यह जगह वर्तमान में पिकनिक और आनंद के लिए एक श्रेष्ठ स्थान है। इस स्थान की वर्षों से उपेक्षा की गई थी, इसलिए राज्य सरकार ने इसे बेहतर बनाने के लिए कई क़दम उठाए हैं।
यहाँ पर एक तालाब और फव्वारा भी है। तालाब में काफ़ी संख्या में मछलियाँ हैं। लोग यहां आते हैं और इन मछलियों को कुछ न कुछ जरुर खिलाते हैं।
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