पटना (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक नया कदम उठाते हुए सभी सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को मासिक पुरस्कार देने की घोषणा की है। इस निर्णय के तहत बिहार के प्रत्येक प्रखंड से कक्षा 1 से 12 तक के शिक्षकों में से एक शिक्षक को प्रतिमाह ‘शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। इस योजना की शुरुआत नवंबर 2024 की उपलब्धियों के आधार पर की जाएगी और पुरस्कार दिसंबर 2024 में प्रदान किए जाएंगे।
प्रक्रिया और मानदंड: शिक्षकों को इस पुरस्कार के लिए स्वयं को नामांकित करना होगा और हर माह की 10 तारीख तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल (eshikshakosh.bihar.gov.in) पर अपनी उपलब्धियों से संबंधित प्रतिवेदन, आँकड़े और फोटो अपलोड करने होंगे। इस योजना के लिए कुल 12 मानदंड तय किए गए हैं, जिनके आधार पर शिक्षकों का चयन किया जाएगा।
बिहार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक योगेंद्र सिंह ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार शिक्षकों के समर्पण और शैक्षिक सुधार की दिशा में किए गए उनके प्रयासों को मान्यता देने का एक प्रयास है।
सभी शिक्षकों को मिलेगा लाभ: यह योजना प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए खुली है। इसमें प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक भी शामिल हैं। शिक्षकों को उनके कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे न केवल उनकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी बल्कि शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
मार्गदर्शिका और दिशा-निर्देश जारी: इस योजना से संबंधित मार्गदर्शिका और दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। ताकि सभी शिक्षक योजना की प्रक्रिया को आसानी से समझ सकें और इसमें भाग ले सकें। इसके साथ ही सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे इस योजना की जानकारी सभी सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों तक पहुंचाएं और उन्हें इस पोर्टल पर आवेदन करने के लिए प्रेरित करें।
शिक्षकों के लिए सुनहरा अवसर: इस नई पहल से बिहार के शिक्षकों के बीच प्रतिस्पर्धा और प्रेरणा का एक नया दौर शुरू होगा। यह पुरस्कार शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को मान्यता देगा और उन्हें अपने कार्यों में अधिक निष्ठा और उत्साह के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
इस प्रकार बिहार सरकार की यह योजना राज्य की शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने और शिक्षकों की प्रतिभा को पहचानने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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