नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार सिपाही बहाली प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। आगामी 9 दिसंबर से शुरू होने वाले सिपाही बहाली के दूसरे चरण की शारीरिक दक्षता और दस्तावेज जांच परीक्षा में सभी अभ्यर्थियों को बायोमेट्रिक जांच प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य कर दिया गया है।
इस प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों के फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन का मिलान लिखित परीक्षा के दौरान लिए गए बायोमेट्रिक डेटा से किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो अभ्यर्थी फॉर्म भरते हैं और लिखित परीक्षा देते हैं, वही शारीरिक दक्षता और दस्तावेज जांच में भी शामिल हों। इस कदम से फर्जी अभ्यर्थियों के परीक्षा प्रक्रिया में शामिल होने की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
केंद्रीय चयन पर्षद ने यह भी स्पष्ट किया है कि आय और परिसंपत्ति से संबंधित प्रमाण पत्र उनकी निर्गत तिथि से एक वर्ष तक वैध माने जाएंगे। इसके अलावा शारीरिक दक्षता और दस्तावेज जांच के दौरान वित्तीय वर्ष 2022-23 के आधार पर निर्गत ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे।
ईडब्ल्यूएस आरक्षण का दावा करने वाली विवाहित महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान रखा गया है। जहां आय प्रमाण पत्र उनके पति के स्थायी निवास से निर्गत किया जाएगा। लेकिन बिहार निवासी होने की पुष्टि के लिए उन्हें अपने पिता के स्थायी निवास का प्रमाण पत्र भी जमा करना होगा।
एससी, एसटी, ओबीसी और बीसी वर्गों के आरक्षण का दावा करने वाली महिला अभ्यर्थियों के लिए जाति और क्रीमीलेयर प्रमाण पत्र उनके पिता के नाम-पते से निर्गत होना चाहिए।
पर्षद ने यह भी कहा है कि अभ्यर्थियों को निर्धारित तिथि पर ही शारीरिक और दस्तावेज जांच की प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसके लिए दोबारा समय नहीं दिया जाएगा। परीक्षा और सत्यापन के दिन उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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