नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ नगर के हदयस्थली में स्थित सरकारी बस स्टैंड (Biharsharif Government Bus Stand) का भवन आजकल मौत का दावत दे रहा है। दो दशक से पटना-रांची रोड किनारे सरकारी बस स्टैंड की बिल्डिंग ध्वस्त है, जिसका मलवा तक हटाने विभाग में असमर्थ रही रहा है। नतीजतन बारिश होने या तेज धूप से बचने के लिए ध्वस्त व जर्जर भवन में यात्री चले जाते हैं, जो कभी भी भारी जान-माल का नुकसान पहुंचा सकता है।
आज भी यहां से दर्जनों रुट के लिए प्रतिदिन कई बस खुलती हैं, जिसे बस पकड़ने के लिए हजारों यात्रियों को यहां से आना-जाना लगा रहता है। बरसात के दिनों में सबसे अधिक यहां यात्रियों को फजीहत झेलनी पड़ती है। स्टैंड में कोई प्रतीक्षालय नहीं है, जिसके कारण यात्रियों को हल्की बूंदाबांदी से लेकर भारी बारिश में भी भिंगकर बस पर सवार होते है।
साथ ही सड़क से बस स्टैंड नीचा हो गया है, जिसके कारण हल्की बारिश होने पर आस-पास की सड़कों व नालों का गंदा पानी व कीचड़ यहां के बस स्टैंड में जम जाता है, जिसका निकास मार्ग भी नहीं है। इसके अतिरिक्त धीरे-धीरे कर बस स्टैंड के सभी चहारदीवारी गिर रही हैं।
स्टैंड के पश्चिम छोर पर स्मार्ट सिटी परियोजना से नाला व सीवरेज का निर्माण होने के दौरान वहां की चहारदीवारी गिर गयी है, जिससे बस स्टैंड में दिन-रात आवारा पशु से लेकर असामाजिक तत्वों का आना-जाना लगा रहता है। सुरक्षाविहीन बस स्टैंड में दिन के उजाले में आवारा पशु से लेकर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। वहीं उत्तरी छोर पर कूड़े का ढेर तथा पूरब मुख्य छोर पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा रहता है।
फिलहाल 3 कर्मी और 12 दैनिक मजदूर हैं यहां कार्यरतः सरकारी बस डीपो में पीपीपी (प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशीप) मोड के तहत चार अलग-अलग निजी बसों के ठहराव करने की यहां व्यवस्था है। जिसके कर्मी सरकारी बसों की अपेक्षा अपने निजी बसों पर यात्रियों को बैठाने पर जोर देते हैं। सरकारी बस डीपो में तीन स्थायी कर्मी और 12 दैनिक मजदूर समेत कुल 15 कर्मी कार्यरत हैं। बावजूद निजी बस के दो-तीन कर्मियों का ही दबदबा डीपो में कायम हैं।
सरकारी बस डीपो से तीन रुट के लिए पांच बसें प्रतिदिन खुलती है। पटना के लिए दो जमुई के लिए एक बाढ़ रूट पर दो सरकारी बसें डीपो से संचालित हैं। इससे प्रतिदिन सरकारी डीपो को 20 से 22 हजार रुपये की राजस्व प्राप्ति होती है। बावजूद प्रशासन सरकारी बस डीपो को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। डीपो में लाइट की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण देर शाम में भय का वातावरण कायम हो जाता है।
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