कतरीसराय (नालंदा दर्पण)। बिहार रेवेन्यू सर्विस ऐसोसिएशन के बैनर तले संघ के अध्यक्ष धीरज प्रकाश के नेतृत्व में बिहार के अंचलाधिकारी एवं राजस्व अधिकारी सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। इसी के तहत अंचल अधिकारी एवं राजस्व अधिकारी काला बिल्ला लगाकर अपने ड्यूटी कर रहे हैं। वहीं 18 जुलाई से मोटेशन नहीं करने का अल्टीमेटम भी दे चुके हैं। इसके संबंध में अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पटना को लिखित आवेदन भी दिया है।
बताते चलें कि वर्तमान समय में बिहार के अंचल अधिकारी तथा राजस्व अधिकारी वैधानिक असमंजस में फंसे हुए हैं। जिनका खामियाजा इन्हें निलंबित होकर चुकाना पड़ रहा है। इसी के शिकार बोधगया अंचल अधिकारी अविनाश कुमार तथा सुमित कुमार भी हुए हैं।
विदित हो कि कई अंचल में कैडेस्ट्रियल सर्वे तथा रिविशनल सर्वे एवं चकबंदी तीनों के आधार पर ही भूमि पर दाखिल खारिज दाखिल खारिज किया जाता है। भूमि विक्रय भूमि विक्रय चकबंदी खेसरा से होता है एवं रैयत द्वारा राजस्व अधिकारी पर दाखिल खारिज के लिए दबाव भी बनाया जाता है।
अंचल अधिकारी के द्वारा रैयत हित में दाखिल खारिज किया भी जाता है। किंतु इस वैधानिक भूल भुलैया में अधूरे राजस्व एवं राजस्व अभिलेख एवं चौतरफा दबाव के उपरांत अंचल अधिकारी के द्वारा दाखिल खारिज करने में निर्णय लेता है तो विभाग सामान्य त्रुटि खोज कर दंडित करता है। जबकि बिहार दाखिल खारिज अधिनियम 2011 नियमावली में अंचल अधिकारी को सिविल जज की शक्ति प्रदान करता है। जिन्हें खुद विभाग समान त्रुटि को खोज कर विभाग द्वारा दंडित किया जाता है।
हद तो तब हो जाती है, जब बिना पक्ष सुने ही पदाधिकारी इन्हें तत्काल निलंबित कर देते है। इसी तरह का मामला तत्काल राजस्व अधिकारी बोधगया सुमित कुमार व अविनाश कुमार का है।
संघ के अध्यक्ष सह कतरीसराय सीओ धीरज प्रकाश का कहना है कि वर्ष 2023 में सीलिंग की भूमि का निबंधन हो जाता है, जोकि रोक की सूची में होनी चाहिए थी। परंतु निबंधन विभाग का कोई भी कर्मी दोषी नहीं होता है। सीलिंग की जमीन रीजनल सर्वे खतियान में रैयती बताया जाता है। परंतु सर्वे में कर्मी दोषी नहीं है। आम खास पंजी संधारण में राजस्व कर्मी दोषी नहीं है। भूमि की क्रय विक्रय करने वाले क्रेता-बिक्रेता दोषी नहीं है। विभागीय सॉफ्टवेयर में रेड फ्लैग होना चाहिए था। परंतु विभागीय आईटी कर्मी दोषी नहीं है। इसमें सिर्फ अंचल अधिकारी व राजस्व अधिकारी ही दोषी पाया गया है।
उनका आगे कहना है कि दाखिल खारिज अधिनियम में अपीलीय प्रावधान भी है। यह स्वत्त्व का निर्धारण नहीं करता है एवं दाखिल खारिज का मुख्य उद्देश्य लगान होता है। इसके बावजूद इस प्रकार का दंड नौसंर्गिक न्याय के विरुद्ध है। राज्य के सभी सीओ व राजस्व अधिकारी इस से अपमानित महसूस कर रहे है।
वहीं अन्य सीओ का कहना है कि विभागीय उदासीनता का हम सभी विरोध करते हैं | अंचल अधिकारी राजस्व, आपदा, विधि-व्यवस्था, खनन रोक, भूमि विवाद जैसे महत्वपूर्ण मामलों के निष्पादन को लेकर भू माफिया, खनन माफिया, असमाजिक तत्वों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के निशाने पर रहते हैं। इन लोगों के द्वारा हमारे लोग को खलनायक बना कर पेश किया जा रहा है।
संघ का कहना है कि विभाग सुमित कुमार व अविनाश कुमार का निलंबन वापस ले तथा दाखिल खारिज मामले में असमंजस कि स्थिति दूर करें। नहीं तो संघ के लोग प्रतिदिन दो मिनट का मौन रखते हुए काला पट्टी बांध कर कार्य करेंगे। बिहार के सभी अंचल अधिकारी जरुरी सेवाओं जैसे आपदा, विधि व्यवस्था, प्रमाण पत्र इत्यादि छोड़ कर 18 जुलाई से दाखिल खारिज मामले में निष्पादन करना बंद कर देंगें।
गौरतलब है कि कई अन्य संघ बिहार राजस्व सेवा संघ को अपना सैद्धांतिक समर्थन देते हुए सरकार से उपरोक्त सभी मुद्दों पर सहानभूति पूर्वक विचार करने का अनुरोध किया है। संघ के अध्यक्ष धीरज प्रकाश का कहना है कि संघ हमेशा और हर परिस्थिति में अपने अधिकारीयों के साथ खड़ा है और अगर जरुरत पड़ी तो न्यायालय का सहारा लिया जायेगा।
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