बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा अनुशंसित 32688 प्रधान शिक्षकों के जिला आवंटन को लेकर उठे सवालों के जवाब में शिक्षा विभाग ने स्थिति स्पष्ट की है। विभाग ने कहा कि जिला आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और मेधा क्रम के आधार पर की गई है। बीपीएससी द्वारा जिस कोटि में अभ्यर्थियों की अनुशंसा की गई है, उसी कोटि के मेधा क्रम और अभ्यर्थियों के जिला विकल्पों को ध्यान में रखकर यह आवंटन किया गया है।
शिक्षा विभाग को कुछ अभ्यर्थियों से शिकायत मिली थी कि उन्हें मेधा क्रम के अनुसार जिलों के विकल्पों का लाभ नहीं मिला। इस पर विभाग ने साफ किया कि प्रधान शिक्षक का पद जिला स्तरीय संवर्ग के अंतर्गत आता है। इसलिए जिला स्तर पर कोटिवार स्वीकृत पदों के अनुसार ही पदस्थापन की कार्यवाही की जानी थी। विभाग ने यह भी बताया कि सामान्य, आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अतिपिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसी विभिन्न कोटियों में अनुशंसित अभ्यर्थियों को उनके मेधा क्रम के आधार पर जिले आवंटित किए गए हैं।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक के अनुसार यदि समेकित रूप से देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी कोटि में मेधा क्रम के आधार पर कोई अनियमितता नहीं हुई है। उदाहरण के तौर पर सामान्य कोटि में उच्च मेधा क्रम वाले अभ्यर्थी को छोड़कर निचले मेधा क्रम वाले अभ्यर्थी (दिव्यांग श्रेणी को छोड़कर) को उनके विकल्प का लाभ नहीं दिया गया। इसी तरह अन्य सभी कोटियों में भी मेधा क्रम का सख्ती से पालन किया गया है।
इस मामले की समीक्षा के बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशक साहिला ने अभ्यर्थियों को सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बिना तथ्यों की पूरी जानकारी के जिला आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल उठाना उचित नहीं है। निदेशक ने अभ्यर्थियों से अपील की कि वे विभाग द्वारा की गई कार्यवाही पर भरोसा रखें और अनावश्यक प्रश्नचिह्न लगाने से बचें।
यह खबर उन अभ्यर्थियों के लिए राहत की बात हो सकती है जो अपने जिला आवंटन को लेकर असमंजस में थे। शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल पारदर्शिता को दर्शाता है, बल्कि मेधा आधारित चयन प्रक्रिया में विश्वास को भी मजबूत करता है। अब अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि वे जल्द ही अपने आवंटित जिलों में कार्य शुरू कर सकेंगे और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे सकेंगे।
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