गाँव-जवारनालंदाराजगीरसमस्या

कैसे हो धान की रोपाई, जब खेतों में नहीं है पानी

बेन (रामावतार कुमार)। अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। इसके कारण किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। धान की नर्सरी तैयार है पर अभी तक नदी, नाले व तालाब सूखे पड़े हैं। इतना हीं नहीं पानी का लेबल भी गहराता जा रहा है।

एक प्रगतिशील किसान बिनोद प्रसाद का मानना है कि अगर मध्य जुलाई के बाद बारिश नहीं होती है तब किसानों की चिंता और बढ़ेगी। किसान हर रोज खेतों पर जा रहे हैं, खेतों में लगे बिचड़े को देखते हैं और फिर आसमान की तरफ देखकर कहते हैं कि इस बार पता नहीं क्या होगा?

दरअसल जुलाई महीने के एक पखबाड़े बीत जाने के बाद भी अब तक खेत, नदियाँ और तालाब सूखे हुए हैं। इसके कारण किसानों के मन में अनिश्चिंतता का भाव पैदा हो रहा है। और डर सता रहा है कि पता नहीं इस बार क्या होगा ? बारिश में हो रही देरी के कारण किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।

किसानों ने कहा कि क्षेत्र के विभिन्न गांवों से गुजरने वाली नदियाँ सूखी पड़ी है। नदियों के किनारे बसे गांव के किसानों का भी बुरा हाल है। पानी के लिए सभी को बरसात का सहारा बना हुआ है। नहरों के किनारे बसे गांव के किसानों को भी धान की रोपाई करना मुश्किल हो गया है।

प्रखंड क्षेत्र के किसान मुन्ना कुमार, मिथलेश प्रसाद, ललन प्रसाद, बिक्रम सिंह, राजेश सिंह, अजय कुमार, सरयुग सिंह, नरेश प्रसाद बताते हैं कि इसबार भीषण गर्मी से खरीफ फसलों के सामने समस्या खड़ी है।

किसानों ने कहा कि कभी सुखाड़ की मार तो कभी फसल बर्बादी की मार हीं खानी पड़ती है। प्रखंड क्षेत्र के किसानों को खरीफ फसल की रोपाई को लेकर चिंता सता रही है।

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