“जिला प्रशासन ने लोगों से वैध स्रोतों से ही बालू खरीदने और अवैध बालू खनन की सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को देने की अपील की है…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में पांच वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बालू खनन की वैध प्रक्रिया को पुनः शुरू कर दिया गया है। इस पहल के तहत 9 घाटों को खनन के लिए स्वीकृत किया गया है। जिनमें से 6 घाटों पर काम पहले ही शुरू हो चुका है। बाकी 3 घाटों पर कार्य निजी कारणों से फिलहाल रुका हुआ है। लेकिन प्रशासन का दावा है कि यह अगले एक-दो दिनों में चालू हो जाएगा।
नई खनन व्यवस्था में लोकाइन नदी के 5 घाट, सकरी नदी के 3 घाट और मुहाने नदी का 1 घाट शामिल हैं। इन सभी को पर्यावरणीय और प्रशासनिक स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। बालू खनन की बहाली से निर्माण कार्यों में तेजी आने और बालू की आसमान छूती कीमतों में गिरावट की उम्मीद है।
बता दें कि पिछले पांच वर्षों में अवैध खनन के कारण एक ट्रैक्टर बालू की कीमत 7000 रुपये तक पहुंच गई थी। वैध खनन शुरू होने के बाद यह कीमत लगभग 3000 रुपये तक घटने की संभावना है। हालांकि इसमें ढुलाई और श्रमिकों का खर्च अलग से जोड़ा जाएगा।
जानकारी के अभाव में अभी भी कई क्षेत्रों में अवैध खनन जारी है। स्थानीय छोटे विक्रेता अभी भी 5 से 6 हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर से अवैध स्रोतों से बालू की खरीदारी कर रहे हैं। प्रशासन ने जिले में 22 लाइसेंसधारी दुकानों की सूची जारी की है, जहां से लोग वैध बालू खरीद सकते हैं।
इसके पहले वर्ष 2020 में बालू घाटों की नीलामी का प्रयास कोविड-19 महामारी के कारण विफल रहा। इसके बाद वर्ष 2022 में 24 घाटों की पहचान की गई। लेकिन उनमें से आधे घाटों के लिए बोली लगाने वाले नहीं मिले। अब नई व्यवस्था से उम्मीद है कि बालू की किल्लत खत्म होगी और बाजार में स्थिरता आएगी।
बहरहाल, सरकारी खनन शुरु होने से न केवल बालू की कीमतों में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। निर्माण कार्यों में तेजी आने से श्रमिकों को रोजगार मिलेगा और जिले में विकास की रफ्तार तेज होगी।
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