राजगीर (नालंदा दर्पण)। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर में गर्मजल का कुंड और झरना सांस्कृतिक धरोहर है। इन कुंडों और झरनों के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। गर्मजल के झरनों का पानी साल दर साल घटते जा रहा है। कई कुंडों के झरने सूख गये हैं। बावजूद इसके कारणों की तलाश हेतु अब तक ठोस रणनीति नहीं बनी है।
यही कारण है कि गर्मी आने के पहले शरद ऋतु में ही ब्रह्मकुंड क्षेत्र के तीन कुंडों गंगा-यमुना, अनंत कुंड और व्यास कुंड के झरने सूख गये हैं। चौथा कुंड का मार्कण्डेय झरना सूखने के कगार पर है। कुछ लोग इन कुंडों और झरनों का कनेक्शन भेलवा डोभ जलाशय से तो कुछ लोग कुंड क्षेत्र के डीप लेवल बोरिंग से जोड़ कर देख रहे हैं।
हालांकि बिना जांच के इस संबंध में कुछ कहना उचित नहीं है। वैभारगिरी पहाड़ी पर भेलवा डोभ जलाशय है। वह वर्षों से सूखा है। पहले उस जलाशय में सालों हाथी डूबने भर पानी रहता था। लेकिन कलांतर में वह जलाशय उथला और संकीर्ण हो गया है। इस कारण इस जलाशय में पानी जमा नहीं होता है।
दूसरी तरफ लोगों का मानना है कि कम वर्षापात के कारण जलाशय में पानी जमा नहीं होता है। बड़े बुजुर्गों की माने तो कुंडों और झरनों का कनेक्शन भेलवा डोभ जलाशय से जुड़ा है। यह कितना सत्य है, यह तो भूगर्भीय जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन सूर्य कुंड क्षेत्र के कुंडों के झरनों का जलप्रवाह में कोई परिवर्तन नहीं है। उसका किसी जलाशय से कनेक्शन भी नहीं है।
वार्ड पार्षद डॉ अनिल कुमार वार्ड पार्षद महेन्द्र यादव, पैक्स अध्यक्ष अरुण कुमार, मुखिया कुमारी सविता, समाजसेवी पंकज कुमार, मुन्ना कुमार, राजगीर तपोवन तीर्थ रक्षार्थ पंडा कमिटी के प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के सचिव डॉ धीरेन्द्र उपाध्याय कहते हैं कि समाज और सरकार को इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। इस सांस्कृतिक विरासत के अस्तित्व को बचाने के लिए हर संभव प्रयास आवश्यक है। देश के चुनिंदा भूगर्भीय वैज्ञानिकों के दल से इसकी जांच होनी चाहिये। उनके द्वारा ही कारणों का पता लगाया और निदान निकाला जा सकता है।
वरीय पदाधिकारियों द्वारा पहले भी हुई जांच: वर्षों पूर्व ब्रह्मकुंड क्षेत्र के अनेकों कुंडों का झरना सूख गया था गर्मजल के झरनों के सूखने का मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंची थी। उनके द्वारा आला अधिकारियों के दल से मामले की जांच कराई गयी थी।
जांच दल में खुद मुख्य सचिव दीपक कुमार, तत्कालीन जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल, लघु सिंचाई विभाग के प्रधान सचिव एवं अन्य वरीय पदाधिकारी हेलिकॉप्टर से राजगीर मामले की जांच करने आये थे।
पांडू पोखर पार्क के अनेकों डीप लेवल बोरिंग को तत्काल प्रभाव से बंद कराया गया था। उस समय कुंड क्षेत्र में बिना अनुमति डीप लेवल बोरिंग पर रोक लगा दी गयी थी। लेकिन बाद में कुंड क्षेत्र में एक के बाद एक दर्जनों डीप लेवल बोरिंग की गयी है। इसके लिए किसी स्तर से रोक टोक नहीं की गयी।
केंद्रीय संयुक्त सचिव ने किया था मुआयनाः जल शक्ति अभियान के तत्कालीन प्रभारी केंद्रीय संयुक्त सचिव रविंद्र कुमार कर्ण और डीएम योगेंद्र सिंह द्वारा जुलाई 2019 में भेलवा डोभ जलाशय का निरीक्षण किया गया था। विशाल जलाशय देख अधिकारी जितना खुश हुये थे उतना ही जल विहीन जलाशय देख दुखी भी हुये थे।
निरीक्षण के दौरान राजगीर तपोवन तीर्थ रक्षार्थ पंडा कमेटी के सचिव विकास उपाध्याय और प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय ने उन्हें बताया था कि इस जलाशय का तार गर्म जल के कुंडों से जुड़ा है। केंद्रीय संयुक्त सचिव ने इसके सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए भेलवा डोभ जलाशय को संरक्षित और पर्याप्त खुदाई करने का सुझाव दिया था।
गंगाजल आपूर्ति के बाद भी डीप लेवल बोरिंगः राजगीर तपोवन तीर्थ रक्षार्थ पंडा कमिटी के प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय और अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के सचिव डॉ धीरेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि कुंड क्षेत्र में अनेकों होटल और पार्क हैं। उनमें दर्जनों डीप लेवल बोरिंग है। उनमें से आधे दर्जन से अधिक बोरिंग से गर्म पानी निकलने की चर्चा है।
कहीं वही बोरिंग तो गर्मजल के झरनों को प्रभावित नहीं कर रहा है। इसकी जांच आवश्यक है। पर्यटक शहर राजगीर में हर घर गंगाजल की आपूर्ति हो रही है। हर घर की तरह होटलों को भी गंगाजल की आपूर्ति होती है। वैसी हालत में कुंड क्षेत्र के होटलों और पार्कों में डीप लेवल बोरिंग का औचित्य नहीं रह जाता है।
जिला प्रशासन द्वारा त्वरित ऐक्शन लेते हुए कुंड क्षेत्र के होटलों, लॉजों, यात्री निवासों और पार्कों के डीप लेवल बोरिंग खासकर जिस बोरिंग से गर्म पानी निकलते हैं, उसे तत्काल बंद करने की पहल होनी चाहिये।
कुंड क्षेत्र के होटलों, लॉजों और पार्कों के डीप लेवल बोरिंग की जांच जरूरी: टमटम यूनियन के अध्यक्ष अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि इस सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए कुंड क्षेत्र के होटल, लॉज, यात्री निवास, रेस्टोरेंट आदि के डीप लेवल बोरिंग की जांच आवश्यक है। उन बोरिंगों में से कितने से गर्म पानी निकलता है। इसकी पड़ताल आवश्यकता है।
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