“नालंदा जिले में परिवहन और बुनियादी ढांचे के विकास की कई योजनाएं लागू की जा रही हैं, लेकिन उनके प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण निष्पादन के लिए प्रशासन को गंभीर प्रयास करने होंगे…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। बिहारशरीफ नगर स्थित रामचंद्रपुर बस स्टैंड का तेजी से कायाकल्प किया जा रहा है। इस परियोजना पर लगभग 9.92 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
बस स्टैंड में यात्री विश्राम गृह, डीलक्स शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाओं को विकसित करने के लिए कार्य तेजी से प्रगति पर है। यहां यात्रियों की सुरक्षा और आराम को प्राथमिकता दी जा रही है। बस स्टैंड 16,000 वर्गमीटर में फैला हुआ है और यहां से प्रतिदिन लगभग 160 बसों का संचालन होता है। यहां से शेखपुरा, रांची, नवादा, बोकारो, धनबाद, कोलकाता, टाटा और स्थानीय क्षेत्रों जैसे परबलपुर, एकंगरसराय, इसलामपुर, हिलसा, नूरसराय, चंडी, नगरनौसा, कतरीसराय और गिरियक के लिए बसें खुलती हैं।
हालांकि, स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चल रहे कार्यों में अनियमितता और गुणवत्ता की कमी की खबरें सामने आ रही हैं। स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण कार्य में मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग की संभावना बढ़ गई है। इस मामले में जांच और निगरानी की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
परिवहन सेवा को और बेहतर बनाने के लिए रांची रोड स्थित सरकारी बस डिपो से वातानुकूलित और सीएनजी बसों का संचालन शुरू किया गया है। इन सेवाओं का उद्देश्य यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान करना और वायु प्रदूषण को कम करना है। ई-बसों का संचालन भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है।
शहर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत भरावपर और देवीसराय में फ्लाईओवर ब्रिज का निर्माण कार्य भी अपने अंतिम चरण में है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से शहर में यातायात व्यवस्था में बड़ा सुधार होगा।
इसी प्रकार हरनौत के द्वारिका बिगहा गांव में 5 करोड़ रुपये की लागत से एक पुल का निर्माण किया गया है। जिसकी लंबाई 44 मीटर है। यह पुल दर्जनों गांवों के लोगों को जोड़ता है। पुल का निर्माण कार्य 2022 में शुरू हुआ था और बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने इसे 6 मार्च 2024 को पूरा कर दिया। अब इस पुल पर वाहनों का निर्बाध आवागमन हो रहा है।
हालांकि, इन सभी परियोजनाओं ने परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अनियमितताओं और गुणवत्ता में कमी के आरोपों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
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