नालंदा दर्पण डेस्क। भारत में प्राचीन मन्दिरों से जुड़ी कई रहस्यमय कहानियां प्रचलित हैं, जहां ईश्वरीय शक्तियों का साक्षात् अनुभव होता है। लेकिन ओडिशा के टिटलागढ़ में स्थित शिव पार्वती मंदिर का चमत्कारिक अनुभव शायद अपने आप में अद्वितीय है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके अद्भुत प्राकृतिक वातावरण ने इसे एक रहस्य का गढ़ बना दिया है।
ओडिशा के पश्चिमी भाग में स्थित टिटलागढ़ क्षेत्र अपनी तपिश और भीषण गर्मी के लिए प्रसिद्ध है। खासतौर पर यहां का कुम्हड़ा पहाड़ तो कुछ ज्यादा ही गर्म रहता है, जहां पत्थरों पर पड़ने वाली तेज धूप से वातावरण का तापमान सामान्य से कहीं अधिक बढ़ जाता है। गर्मियों के दौरान टिटलागढ़ का तापमान कई बार 50-55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो इसे राज्य का सबसे गर्म स्थान बना देता है।
लेकिन इसी असहनीय गर्मी के बीच स्थित शिव पार्वती मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां कुदरत और ईश्वर की शक्ति का अनूठा मेल देखने को मिलता है। मंदिर के बाहर जहां सूर्य की तीव्र गर्मी और पत्थरों से निकलती तपिश झुलसाती है। वहीं मंदिर के भीतर कदम रखते ही एक ठंडक का सुखद अनुभव होता है। यह ठंडक इतनी अधिक होती है कि मई और जून के महीनों में भी यहां कंबल ओढ़ने की जरूरत महसूस होती है।
मंदिर का तापमान हमेशा ठंडा बना रहता है, जबकि इसके आस-पास का वातावरण गर्मी से भरपूर होता है। विशेष बात यह है कि जैसे-जैसे बाहर का तापमान बढ़ता है, मंदिर के भीतर का तापमान और भी ठंडा हो जाता है। यहां किसी भी प्रकार का आधुनिक उपकरण, जैसे- कूलर या एसी नहीं लगा हुआ है। फिर भी यह प्राकृतिक ठंडक का अनुभव कैसे होता है, यह एक रहस्य बना हुआ है।
कुम्हड़ा पहाड़ पर स्थित यह प्राचीन मंदिर शिव और पार्वती को समर्पित है, जहां सालों से भक्तजन इस रहस्यमयी अनुभव को महसूस करते आ रहे हैं। विज्ञान के लिहाज से यह एक अनसुलझी पहेली है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। क्या यह किसी प्राकृतिक शक्ति का परिणाम है या फिर ईश्वर की कृपा?
मंदिर में प्रवेश करने वाले सभी श्रद्धालु इस अद्भुत चमत्कार को महसूस करते हैं। मंदिर के भीतर और बाहर के वातावरण में मात्र चंद कदमों की दूरी पर ही एक बड़ा बदलाव आ जाता है। यह जगह प्रकृति और आध्यात्मिकता के मेल का एक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
ओडिशा का यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि अपनी रहस्यमयी और अद्भुत विशेषताओं के कारण दुनियाभर के पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। यहां आकर लोग एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं और प्रकृति की अविश्वसनीय शक्ति को महसूस करते हैं।
टिटलागढ़ का यह मंदिर सचमुच में ईश्वरीय चमत्कार और वैज्ञानिक जिज्ञासा का संगम है। अगर आप कभी ओडिशा जाएं, तो इस स्थान को अपनी यात्रा में शामिल करना न भूलें, जहां गर्मी में भी सर्दी का अनोखा अनुभव आपका इंतजार कर रहा होता है।
स्पष्टीकरणः यह आलेख टिटलागढ़ के रहस्यमयी शिव पार्वती मंदिर की प्राकृतिक और आध्यात्मिक विशेषताओं को उजागर करता है, जो इसे भारत के अन्य मंदिरों से एकदम अलग बनाती हैं।
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