“वर्तमान परिवेश में लोग मौसम के अनुरूप जाड़ा, गर्मी,बरसात में वस्त्र बदलकर प्रकृति के अनुकूल बनने की कोशिश करते है लेकिन यदि मात्र एक धोती के सहारे यदि जाड़ा और गर्मी लोग काटने लगे तो कह सकते है कि ये सिर्फ भारत के पुराने लोगों में सहनशक्ति और क्षमता दिख सकती है…………”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। भारतीय पारम्परिक परिधान धोती अब सिर्फ शादी विवाह एवं विशेष रीति रिवाजों में ही देखने को नज़र आता है या पूजा पाठ के अवसर पर लोग इस भारतीय संस्कृति के पारंपरिक परिधान का उपयोग करते हैं, लेकिन राजगीर के श्री गोप जो आज स्वर्ग सिधार गए उन्होंने सिर्फ एक धोती पहनकर पूरे 102 वर्ष अपने जीवन के इस धरती पर गुजार दिए।
राजगीर शहरी क्षेत्र के बद्रीपुर गांव के 102 वर्षीय श्री गोप ने आज अपने शरीर को त्याग कर परमात्मा की शरण मे चले गए। स्व. गोप के पुत्र लाल यादव ने उन्हें मुखाग्नि देने के बाद कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन सिर्फ एक धोती पहनकर काट दिए। मात्र धोती को पूरी तरह लपेटकर इतने लंबे जीवन को व्यतीत किये।
देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी सिर्फ धोती परिधान के इस्तेमाल के रूप में जाना पहचाना है, लेकिन बचपन से लेकर 102 वर्ष तक सिर्फ धोती का उपयोग कर स्व गोप ने सिद्ध किया है कि खान-पान और रहन-सहन जैसे जैसे बदलते गया, इंसान उतना ही कमजोर होता गया।
स्व. गोप के अंत्येष्टि में उपस्थित सैकड़ों लोग आज उनकी सादगी और रहन सहन की चर्चा करते नज़र आए।