बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में मशरूम की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी अच्छी खबर है। मशरूम की अच्छी फसल की दिशा में कृषि विभाग की ओर से ठोस कदम उठाया गया है। विभाग की योजना के मुताबिक जिले में मशरूम झोपड़ियों का निर्माण किया जायेगा।
जिले में 12 मशरूम झोपड़ियां बनायी जाएंगी। इस योजना का लाभ इच्छुक किसान लें सकते हैं। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को तत्परता दिखानी होगी। क्योंकि पहले आओ पाओ की तर्ज पर किसान लाभान्वित किये जाएंगे।
योजना का लाभ सामान्य वर्ग से लेकर आरक्षित वर्ग के लोग उठा सकते हैं। इसका लाभ लेने के लिए किसानों को विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। हालांकि इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ आवश्यक शर्त भी पूरा करना अनिवार्य है।
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को मशरूम उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षित होना आवश्यक है। वह भी सरकार के किसी कृषि संस्थान के माध्यम से ट्रेंड होना जरूरी है। कम से कम दो दिवसीय प्रशिक्षण लिये हों। प्रशिक्षण से संबंधित प्रमाण पत्र आवेदन के साथ संलग्न करना होगा।
सरकार के कृषि विभाग के कृषि विज्ञान केंद्र, उद्यान महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, आत्मा आदि संस्थानों से प्रशिक्षण से संबंधित प्रमाण पत्र ही मान्य होगा। बिना ट्रेंड किसान योजना का लाभ नहीं ले सकते हैं।
जिला उद्यान विभाग की कार्ययोजना के मुताबिक नालंदा जिले में 12 मशरूम झोपड़ियों का निर्माण किया जाना है। जिसमें से 10 सामान्य वर्ग के लाभुकों के लिए और आरक्षित वर्ग के लाभुकों के लिए स्वीकृत हैं। संबंधित वर्ग के इच्छुक व प्रशिक्षित किसान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
निर्माण कार्य कार्यादेश की निर्गत तिथि के 90 दिनों के अंदर इसका निर्माण कार्य पूरा कर लेना होगा। योजना की स्वीकृति पूर्व में ही मिल चुकी है। हालांकि पोर्टल अब नहीं खुल पा रहा है। सब्सिडी की राशि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही विभाग की ओर से प्रदान की जाएगी। अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाएगा।
मशरूम की खेती करने के लिए मशरूम झोपड़ी के निर्माण के लिए किसानों अपने स्तर से पूरी पूंजी लगाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आधी पूंजी ही घर से लगानी होगी। यानी की इकाई लागत की आधी राशि सरकार के नियमानुसार जिला उद्यान विभाग की ओर से सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
प्रति इकाई लागत एक लाख 79 हजार रुपये है। इस पर 50 प्रतिशत राशि विभाग की ओर से अनुदान के रूप में भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन सब्सिडी राशि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही विभाग की ओर से इसका सत्यापन करने के बाद ही भुगतान किया जाएगा।
सब्सिडी की राशि किसानों को डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध करायी जाएगी। बांस व फूस से इसका निर्माण होना है। चारों तरफ बांस की चाली होगी। कम लागत में मशरूम की खेती आसानी से हो जाती है।
किसान अन्य कृषि कार्यों के अलावा इसकी खेती आसानी से शेष समय में कर सकते हैं। इस कार्य के लिए विभाग की ओर से समय-समय पर प्रशिक्षण देने का कार्य भी किया जाता है। जिसमें पुरुष म महिला किसान भी भाग लेते हैं।
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